सूरजपुर: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में प्राइवेट स्कूल में 5 साल के बच्चे को पेड़ पर रस्सी से लटकाने की अमानवीय घटना अब हाईकोर्ट तक पहुंच चुकी है। मामला सामने आने के बाद न केवल पुलिस और जिला प्रशासन ने कार्रवाई की, बल्कि अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी इसे जनहित याचिका मानकर स्वतः संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी की  “यह बहुत गलत है, मजाक बनाकर रखा है।

जानकारी के अनुसार घटना 24 नवंबर की  है। हंसवानी विद्या मंदिर में नर्सरी से लेकर आठवीं तक के बच्चे पढ़ते हैं। उस दिन नर्सरी क्लास की टीचर काजल साहू बच्चों का होमवर्क चेक कर रही थीं। इस दौरान एक नन्हा छात्र अपना होमवर्क नहीं कर पाया था। बस इतनी सी बात पर शिक्षिका का पारा चढ़ गया। अनुशासन के नाम पर बच्चों को सुधारने के लिए शिक्षक समझाइश देते हैं, लेकिन यहां काजल साहू का व्यवहार बच्चों की सुरक्षा सीमा को पूरी तरह पार कर गया।

जबकि स्कूल संचालक नियम अंतर्गत नियम 6.2 में स्पष्ट उल्लेखित है कि किसी भी बच्चे को शारीरिक दंड या मानसिक प्रताड़ना नहीं दी जायेगी। इसके साथ ही नियम 6.9 के तहत विद्यालय कानूनी खंड 19 में वर्णित विद्यालय मे उपलब्ध सुविधाओं के अनुपात मे छात्रों को प्रवेश देने के निर्देश हैं। ऐसे मे विद्यालय का संचालन नियमों के अभाव मे किया जाना प्रतीत होता है और विद्यालय द्वारा तय मानक का पालन ना किया जाना प्रतीत होता है ।

कलेक्टर के निर्देश के अनुपालन में इस मामलें को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा विभाग द्वारा कड़े कदम उठाये गये है। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा घटना दिवस पर ही विकासखंड शिक्षा अधिकारी रामानुजनगर से इस संदर्भ में जांच कर प्रतिवेदन मंगाया गया। जिस पर अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित करतें हुए जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा विद्यालय प्रबंधक को प्रताड़ित छात्र के संबंध मे नोटिस दिया गया है। संबंधित शिक्षिका को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया, जो कि संतोषजनक ना होने पर शिक्षिका को बर्खास्त कर दिया गया है।

पेड़ पर रस्सी से लटकाकर दिया गया अमानवीय अत्याचार

शिक्षिका ने गुस्से में पहले बच्चे को क्लास से बाहर निकाल दिया। इतना ही नहीं, जो अगला कदम उन्होंने उठाया वह किसी भी civilized व्यवस्था में अस्वीकार्य है। स्कूल परिसर में मौजूद एक पेड़ पर उन्होंने रस्सी के सहारे बच्चे को लटका दिया। आरोप है कि बच्चा घंटों तक इसी स्थिति में लटका रहा। मासूम चिल्लाता रहा, डरता रहा, लेकिन किसी ने उसे राहत नहीं दी। यह घटना न सिर्फ अमानवीयता की पराकाष्ठा है, बल्कि बाल संरक्षण कानूनों का खुला उल्लंघन भी है।घटना की जानकारी जब परिजनों और समाज के लोगों तक पहुंची तो क्षेत्र में आक्रोश फैल गया। लोगों ने स्कूल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही और क्रूरता का आरोप लगाया।

पुलिस ने तत्काल की कार्रवाई, दर्ज हुई FIR

मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने तत्काल संज्ञान लिया। थाना प्रभारी आलरिक लकड़ा ने शासन की ओर से FIR दर्ज कराते हुए स्कूल संचालक सुभाष शिवहरे और शिक्षिका काजल साहू को आरोपी बनाया है। पुलिस ने POCSO एक्ट, बच्चे को अवैध रूप से बंधक बनाने, शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना जैसे गंभीर अपराधों की धाराएँ लगाई हैं। वही इस मामले में स्कूल की मान्यता भी रद्द कर दी गई है।

हंसवानी विद्या मंदिर में जिस टीचर ने बच्चे को पेड़ से लटकाया था, वह भी नाबालिग है। टीचर ने साल 2020 में हाईस्कूल की सर्टिफिकेट परीक्षा हायर सेकेंडरी स्कूल देवनगर से पास की थी।दसवीं की अंकसूची में उसकी जन्मतिथि 02 दिसंबर 2007 दर्ज है। टीचर ने वर्ष 2022 में बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और वर्तमान में कॉलेज की पढ़ाई करने के साथ ही वह निजी स्कूल में बतौर टीचर काम कर रही थी।अंकसूची में दर्ज जन्मतिथि के अनुसार टीचर की आयु 02 दिसंबर 2025 को 18 वर्ष पूर्ण होगी। 18 वर्ष पूर्ण होने के पहले ही उसे निजी स्कूल ने नौकरी में रख लिया था।

हंसवानी विद्या मंदिर का यह मामला शिक्षा संस्थानों में बच्चों की सुरक्षा पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाता है। यह घटना सिर्फ एक स्कूल का मामला नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि बच्चों की मासूमियत और सुरक्षा की रक्षा हर हाल में सर्वोपरि होनी चाहिए। पुलिस की त्वरित कार्रवाई से उम्मीद है कि पीड़ित को न्याय मिलेगा और ऐसे मामलों पर भविष्य में कठोर रोक लग सकेगी।

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