किसान ने पटवारी, नोटरी एवं तहसीलदार पर लगाए आरोप

बलरामपुर/राजपुर। बलरामपुर जिले के राजपुर जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम कोदौरा में भूमि संबंधी एक सनसनीखेज फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। पूरे क्षेत्र में प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।ग्राम कोदौरा निवासी 35 वर्षीय कबीरदास पिता घरभरन ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर कहा कि हल्का नंबर-1 के पटवारी अजेंद्र ने कुछ प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से कूट रचित दस्तावेज तैयार कर उनकी पुश्तैनी भूमि का नामांतरण ग्राम बाबापारा प्रतापपुर निवासी सोमारू पिता रिझन के नाम पर कर दिया है। किसान ने कहा कि “मैं एक गरीब किसान हूं, मेरे पूर्वजों की मेहनत की यह जमीन ही मेरा जीवन आधार है। इसे छीनने की जो साज़िश रची गई, वह न सिर्फ एक किसान का हक मारने का अपराध है बल्कि एक अमानवीय कृत्य भी है”।

नोटरी की भूमिका पर भी सवाल

इस पूरे षड्यंत्र में नोटरी की भूमिका भी संदिग्ध है, आरोप है कि बिना किसी दस्तावेजी सत्यापन या वास्तविक जांच के, नोटरी ने फर्जी दस्तावेजों का प्रमाणीकरण कर दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि एक सुनियोजित तरीके से यह संपूर्ण नामांतरण प्रक्रिया पूरी की गई, ताकि पीड़ित को कानूनी रूप से भी कमजोर साबित किया जा सके।

न्याय की गुहार लगाई

जब पीड़ित किसान को इस फर्जीवाड़े की भनक लगी तब उन्होंने तत्काल राजपुर तहसील न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर न्याय की गुहार लगाई। किसान ने कहा कि “यह केवल मेरी लड़ाई नहीं है, बल्कि हर उस किसान की आवाज़ है, जो ईमानदारी से अपनी जमीन पर हल चला रहा है और जिसे कुछ भ्रष्ट अधिकारी और दलाल मिलकर उसकी मेहनत की पूंजी से बेदखल करने की कोशिश कर रहे हैं”। राजस्व विभाग के भीतर फैले भ्रष्टाचार की जड़ें उजागर करने वाला मामला बताया और कहा कि “यदि यह फर्जीवाड़ा समय रहते सामने नहीं आता, तो मैं अपने पूर्वजों की जमीन से सदा के लिए वंचित हो जाता”।

ग्रामवासियों में आक्रोश

इस घटना को लेकर ग्रामवासियों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों ने एक सुर में प्रशासन से मांग की है कि “इस प्रकार के फर्जी नामांतरण प्रकरणों की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों पर कानूनी कार्यवाही की मांग की है। ग्रामवासियों ने कहा कि जब तक इस प्रकरण में पारदर्शी जांच और न्यायसंगत दंड नहीं होता, वे जन आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे। ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इसे ‘प्रशासनिक तंत्र की संवेदनहीनता का प्रतीक’ बताते हुए कहा कि यदि गरीब की पुश्तैनी जमीन भी सुरक्षित नहीं, तो फिर न्याय की उम्मीद कहां से की जाए।

सालिक राम गुप्ता ने कहा कि मामला प्रकाश में आया है जांच कराई जाएगी, जांच उपरांत गलत पाए जाने पर कार्रवाई की जाए।

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