जशपुर। जशपुर जिले के दोकड़ा चौकी अंतर्गत ग्राम चोंगरिबहार में बिना शादी किए पत्नी को घर में रखने से मना करने पर पोते ने लकड़ी के पीढा से मारकर दादी की हत्या कर दी।पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायायिक रिमांड पर जेल भेजा।

जानकारी के अनुसार ग्राम चोंगरीबहार तितरमारा ,बैगाटोली निवासी भगत राम ने दोकड़ा चौकी में आकर रिपोर्ट दर्ज कराया कि उनकी मां मृतिका मोदी बाई को उसके भतीजे सोनसाय ने घर में धक्का दिया था,जिससे उसकी मां मृतिका मोदी बाई दरवाजे के चौखट से टकरा कर जमीन पर रखे लकड़ी के पीढा पर गिर पड़ी जिससे उसके सिर में चोट आने के उसकी मृत्यु हो गई। पुलिस रिपोर्ट पर मर्ग कायम कर धारा 194 बीएनएसएस के तहत जांच में जुटी हुई थी।

मामला संदेहास्पद लगने के कारण पुलिस ने फोरेंसिक टीम की उपस्थिति में घटना स्थल का निरीक्षण कर, शव का पंचनामा की कार्यवाही की, प्रथम दृष्टिया  मामला हत्यात्मक प्रतीत होने पर पुलिस के द्वारा,मृतिका मोदी बाई उम्र 75 वर्ष  के शव का  डॉक्टर से पोस्टमार्टम कराया गया।डॉक्टर  द्वारा पीएम० रिपोर्ट में मृतिका के मृत्यु की प्रकृति हत्यात्मक बताई गई जिसपर  पुलिस ने मृतिका के पोते आरोपी सोनसाय राम पिता बुधनाम राम (22 वर्ष) निवासी ग्राम चोंगरिबहार, तितर मारा बैगाटोली, चौकी दोकड़ा के विरूद्ध हत्या करने के लिए धारा 103 (1) बीएनएस कायम किया।
        

पुलिस ने आरोपी सोनसाय राम को अभिरक्षा में लेकर पूछताछ किया, पूछताछ करने पर उसने हत्या करना स्वीकार किया।उसमें पुलिस को बताया कि 06 माह पूर्व एक 21 वर्ष की युवती को उसने बिना विवाह किए घर में पत्नी बनाकर रखा था,जिस बात को लेकर उसकी दादी मृतिका मोदी बाई एवं आरोपी  सोन साय के मध्य अकसर वाद विवाद होता था, 07 मई को मृतिका एवं उसके पोता आरोपी सोनसाय राम के बीच आपस में विवाद हुआ जिससे आरोपी सोन साय ने अपनी दादी मृतिका मोदी बाई को पहले घर में लगे चौखट पर धक्का दिया फिर घर में रखे लकड़ी के पीढा से मृतिका के सिर पर दो-तीन बार प्रहार कर दिया। ईलाज न कराकर घर में ही रखने से उसकी मृत्यु हो गई । 
  

पुलिस के द्वारा आरोपी के कब्जे से हत्या में प्रयुक्त लकड़ी का पीढ़ा को जप्त किया गया। पुलिस ने आरोपी को विधिवत गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा। सम्पूर्ण कार्यवाही में  चौकी प्रभारी दोकड़ा उप० निरीक्षक अशोक यादव, प्र०आर०  संजय राम नागवंशी आरक्षक क्र०  प्रकाश मिंज, आरक्षक क्र0  कुलकान्त हंसरा, का सराहनीय योगदान रहा है।

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