अंबिकापुर: राजीव गांधी शास. स्नातकोत्तर महाविद्यालय अंबिकापुर के स्नातकोत्तर भूगोल विभाग द्वारा 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के अवसर पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।इस व्याख्यान माला में शासकीय महाविद्यालय प्रतापपुर के भूगोल विभागाध्यक्ष प्रो. गोपिश्वर साय को आमंत्रित किया गया था। गोपिश्वर साय ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रकृति के शोषण से पारिस्थितिकी तंत्र के विनाश के फलस्वरुप पृथ्वी के अपनी  वास्तविक गुणवत्ता में लगातार गिरावट हो रही है। जनसंख्या वृद्धि  पृथ्वी के अस्तित्व को चुनौती देने में लगा हुआ है।

भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि विगत शताब्दी में मनुष्य ने अपनी प्राविधिक एवं वैज्ञानिक दक्षता के साथ कृषि, सिंचाई, खनन, उद्योग, परिवहन इत्यादि क्षेत्रों में तीव्र विकास किया दुर्भाग्यवश ऐसा करने में उसने  पृथ्वी के प्राकृतिक पर्यावरण का बेहद नुकसान किया। हमारी पृथ्वी का पर्यावरण अनेक भौतिक और जैविक कारकों का  एक समेकित तंत्र है जिसमें सभी भौतिक तत्व इस प्रकार क्रिया तथा प्रतिक्रिया करते हैं कि एक प्रकार का संतुलन सदैव बना रहता है। किंतु संसाधनों के अति दोहन से इसमें असंतुलन उत्पन्न हो गया है, जो इस पृथ्वी के अस्तित्व के लिए बेहद खतरनाक है।

भूगोल की अतिथि व्याख्याता  ओमकार कुशवाहा ने कहा कि मनुष्य अपने पर्यावरण को विकासात्मक क्रिया के लिए उपयोग करता है और ऐसा करते हुए प्राकृतिक तंत्र को भंग करता है। इसे ही पर्यावरण का अवनयन कहा जाता है।
भूगोल विभाग के अतिथि व्याख्याता डॉ राजीब जाना ने कहा किपृथ्वी दिवस का संबंध पर्यावरण के संरक्षण से है
जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदु है जिस पर कार्य योजना बनाए जाने की आवश्यकता है इनमें प्राकृतिक पर्यावरण के संघटको में होने वाले रूपांतरण को नियंत्रित करना, पादप और प्राणी स्पीशीज का विनाश तथा प्रतिस्थापन रोकना, रासायनिक उर्वरक , कीटनाशकों के उपयोग  को नियंत्रित करना, वायुमंडलीय गैसों का अनुपात में होने वाले परिवर्तन को नियंत्रित करना, क्षयशील संसाधनों का अति शोषण रोकना ,औद्योगिक विस्तार तथा नगरीकरण को नियंत्रित करना, खनिज उत्खनन के विस्तार को रोकना है।

इस अवसर पर  भूगोल स्नातकोत्तर के समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।व्याख्यान माला का संचालन स्नातकोत्तर भूगोल परिषद के अध्यक्ष नितेश पटेल ने किया।

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