बलरामपुर: राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत राज्य शासन के निर्देशानुसार स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों और शिक्षकों का युक्तियुक्तरण किया जा रहा है। विद्यालयों एवं शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण किये जाने से शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि एवं शाला के संचालन में हो रहे परेशानियों से निजात मिलेगी। युक्तियुक्तकरण के द्वारा प्रदेश के विभिन्न स्तर के विद्यालयों में अतिरिक्त अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण हो जाने से छात्रों को अध्ययन लाभ भी मिलेगा।

जिला शिक्षा अधिकारी  डी. एन. मिश्रा ने बताया कि राज्य शासन की मंशा अनुसार विद्यालयों एवं शिक्षकों के युक्तियुक्तरण के माध्यम से दूरस्थ अंचल क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के साथ ही शिक्षा गुणवत्ता में सुधार करने एवं शाला संचालन में हो रहे परेशानियों से भी निजात मिलेगी। साथ ही छात्र-शिक्षक अनुपात में भी सुधार होगी तथा एकल शिक्षकीय एवं शिक्षक विहीन स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। पर्याप्त शिक्षक मिलने पर सभी विषयों की पढ़ाई भी सही ढंग से हो पायेगी। शैक्षणिक संसाधनों (लैब, पुस्तकालय, खेल सामग्री इत्यादि) का बेहतर उपयोग होगा। प्रभावी प्रशासकीय एवं निगरानी में सुगमता होगी। बच्चों को अच्छी शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराया जा सकेगा।

जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया है कि जिले में शिक्षा विभाग के अंतर्गत ई-संवर्ग के 05 एवं टी-संवर्ग के 409 कुल 414 विद्यालयों का युक्तियुक्तकरण किया गया है। इसी प्रकार जिले में ई-संवर्ग के 59 एवं टी-संवर्ग के 494 कुल 553 अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण के तहत् जिला स्तरीय काउंसलिंग के माध्यम से पदस्थापना की कार्यवाही किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक शाला के 333 शिक्षक, माध्यमिक शाला के 118 एवं के 102 व्याख्यताओं का युक्तियुक्तकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्कूल युक्तियुक्तकरण एवं शिक्षक युक्तियुक्तकरण इसलिए आवश्यक था क्योंकि शहरी क्षेत्रों में वहां दर्ज संख्या के मान से अधिक शिक्षक कार्यरत थे। इसी प्रकार दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी थी। युक्तियुक्तकरण से जहां-जहां शिक्षकों

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