बेतिया : तिया के मिश्रौली गांव की रहने वाली खुशबू की जिन्दगी एक साल पहले तक सपनों से भरी हुई थी। मार्च 2023 में उसने चुन्नु शर्मा से शादी की थी। शुरुआत में सब कुछ ठीक लग रहा था, लेकिन यह खुशी ज्यादा दिनों तक नही टिक सकी। धीरे धीरे ससुराल वालों का असली चेहरा सामने आने लगा।

जनवरी 2025 में जब खुशबू ने बेटे को जन्म दिया, तो उसने सोचा कि शायद अब ससुराल वाले उसे स्वीकार कर लेंगे। लेकिन हुआ इसका उल्टा। बेटे के जन्म के कुछ ही हफ्तों बाद उसका सारा स्त्रीधन छीन लिया गया और उसे बेरहमी से पीटकर घर से निकाल दिया गया। मायके लौट आयी खुशबू को उम्मीद थी कि उसका पति उसके साथ खडा होगा, लेकिन चुन्नु शर्मा हर बार दहेज की नई मांग और दूसरी शादी की धमकी देकर बात खत्म कर देता।

कुछ महीने बाद खुशबू के लिये सबसे बडा झटका तब आया, जब उसे पता चला कि उसका पति सचमुच दूसरी शादी कर चुका है। यह सुनकर उसकी दुनिया जैसे बिखर गयी। इसके बावजूद उसने हार नही मानी। अपने घरवालों के साथ 9 सितम्बर को वह ससुराल पहुंची और इंसाफ की मांग की, लेकिन वहां भी उसके साथ मारपीट और बदसलूकी की गयी। आवाज दबाने की कोशिशें हुईं, मगर उसने साहस दिखाया और पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी।

खुशबू का यह संघर्ष सिर्फ एक लडकी की निजी कहानी नही है, बल्कि यह समाज में अब भी मौजूद उस कुरूप मानसिकता को उजागर करता है, जहां रिश्तों की नींव प्यार और भरोसे पर नही, बल्कि पैसों और दहेज पर टिकी होती है। यह घटना बताती है कि एक बच्चा जन्म देने के बाद भी बेटी का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित नही होती, अगर उसके परिवार की मांगें पूरी न हों।

दहेज के लालच और घरेलू हिंसा के बीच फंसी खुशबू की यह दास्तान उन हजारों महिलाओं की आवाज है, जो चुपचाप सहती रहती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि खुशबू ने हिम्मत दिखाई और अपने अधिकारों के लिये लडने का फैसला लिया।

यह कहानी समाज के लिये आईना है, जो दिखाती है कि दहेज की भूख रिश्तों की पवित्रता को कैसे तार तार कर देती है। आज भी कई बेटियां खुशबू की तरह सम्मान और न्याय के लिये जूझ रही हैं। जरूरत है कि समाज और कानून दोनों मिलकर ऐसी मानसिकता पर लगाम लगाएं, ताकि किसी और खुशबू की जिन्दगी यूं बरबाद न हो।

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