रायपुर: जनजातीय बहुल मंडला जिला में इस दीपावली पर परंपरा और कला का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। यहाँ की जनजातीय महिलाएं अपनी पारंपरिक गौड़ी चित्रकारी से मिट्टी के दीये, कलश, पूजा थाली, पोस्टकार्ड, की-रिंग, पेपर वेट और अन्य सजावटी वस्तुएं तैयार कर रही हैं, जो त्यौहार की रौनक को और बढ़ा रही हैं।

यह पहल हाथकरघा एवं हस्तशिल्प संचालनालय भोपाल तथा जिला ग्रामोद्योग अधिकारी, जिला पंचायत मंडला के सहयोग से, ग्रामीण विकास एवं महिला उत्थान संस्थान द्वारा संचालित की जा रही है। विकासखण्ड इंद्री सेक्टर में चल रहा यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 4 सितम्बर को शुरू हुआ। प्रशिक्षण 10 अक्टूबर 2025 तक आयोजित है, जिसमें 30 जनजातीय महिलाएं भाग ले रही हैं।

गौड़ चित्रकारी मंडला जिले की सांस्कृतिक पहचान है। यह कला गौंड जनजाति के जीवन-दर्शन, आस्था और प्रकृति के गहरे जुड़ाव को दर्शाती है। इस परंपरागत कला को नए रूप में सहेजते हुए, जागृति उईके, निकिता उलारी, बरखा उलारी, प्रीति धुर्वे, वंदना तेकाम, सुमन मरावी, रेखा उसराठे, सुरेखा मीना, मर्सकोल ज्योति जैसी स्थानीय महिलाएं अपने हाथों से परंपरा और सृजन का सुंदर मेल प्रस्तुत कर रही हैं।

दीपावली को ध्यान में रखते हुए तैयार किए जा रहे गौड़ी चित्रों से सजे दीये, पूजा थालियां और कलश न केवल कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं बल्कि इन महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक प्रेरक कदम भी हैं। उत्पादों की कीमतें भी निर्धारित की गई है हेण्डमेड पेपर (A3) 900 रूपये, कैनवास (A3) 1200 रूपये, की-रिंग 90 रूपये, दीपक 10 रूपये, पेपर वेट 50 रूपये, रूमाल 100 रूपये और पोस्टकार्ड 40 रूपये है। ये सभी वस्तुएं विक्रय के लिए उपलब्ध हैं।

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