Jitu Patwari letter to the CM: मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने स्कूल शिक्षा में नामांकन में गिरावट का मुद्दा उठाया है. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र भी लिखा है. पटवारी ने बताया कि साल 2025-26 में शिक्षा बजट 36,582 करोड़ रुपये हो गया है. लेकिन प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में नामांकन में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. जो गंभीर चिंता का विषय है.

शिक्षा बजट को लेकर CBI जांच की मांग

जीतू पटवारी ने अपने पत्र में लिखा- राज्य में स्कूल शिक्षा विभाग का बजट वर्ष 2010-11 के 6,874.26 करोड़ रुपये था, जो कि बढ़कर 2025-26 में 36,582 रुपये करोड़ हो गया है. लेकिन इस दौरान प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा में नामांकन में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है. विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या में भी उल्लेखनीय कमी आई है, जो गंभीर चिंता का विषय है. पीसीसी चीफ ने शिक्षा बजट को लेकर मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच करवाने की मांग की है.

‘बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने वाले विद्यार्थियों की संख्या घटी’

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने आंकड़ा देते हुए बताया कि माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित होने वाले परीक्षार्थियों की संख्या वर्ष 2015-16 के 19.95 लाख से घटकर 2024-25 में 17.07 लाख रह गई है. प्राथमिक शिक्षा किसी भी राज्य के विकास की बुनियाद होती है. स्कूल शिक्षा पर किया गया व्यय इस बात का प्रत्यक्ष संकेत है कि हम अपने बच्चों के भविष्य के प्रति कितने संवेदनशील और उत्तरदायी हैं. स्कूल शिक्षा में गिरावट और बढ़े हुए बजट की सीबीआई जांच कराई जाए, ताकि तथ्य स्पष्ट हों और भविष्य के लिए ठोस और प्रभावी नीति तैयार की जा सके.

‘बजट में 550 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी, नामांकन में 54% की कमी’

पटवारी ने अपने पत्र में बताया, जहां शिक्षा के बजट में 550 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. वहीं शासकीय विद्यालयों में नामांकन 54% तक घट गया. निजी विद्यालयों में नामांकन में भी लगभग 16% की महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है. 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि दर लगभग 2.4% प्रतिवर्ष थी और यदि वर्तमान अनुमानित वृद्धि 2% भी मानें, तो 15 वर्षों में लगभग
30% वृद्धि स्वाभाविक है. इसलिए 2010-11 में कक्षा 1 से 8 के कुल 154 लाख नामांकन में जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में यह संख्या लगभग 200 लाख होनी चाहिए थी, जबकि यह घटकर मात्र 100 लाख रह गई. इसका अर्थ यह हुआ कि 1 करोड़ से अधिक 6 से 14 वर्ष आयु के
बच्चे विद्यालयों से बाहर हैं, जबकि साक्षरता दर इसी अवधि में 69.03% से बढ़कर लगभग 78% बताई जाती है.

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!