

अंबिकापुर। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (भारत सरकार) ने सीकिंग मॉडर्न एप्लिकेशन्स फ़ॉर रियल ट्रांसफ़ॉर्मेशन (SMART), दिल्ली स्थित, स्वयं सेवी संस्था के सहयोग से 18-19 नवम्बर 2025 को अंबिकापुर में दो -दिवसीय कम्युनिटी रेडियो जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में सिविल सोसायटी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और सामुदायिक समूहों ने भाग लिया जो कम्युनिटी रेडियो (CR) की स्थापना और में रुचि रखते हैं।
पहले दिन: नीतिगत समझ, क्षेत्रीय सीख और अनुभव साझा करने पर फोकस्ड था। कार्यक्रम की शुरुआत SMART की संस्थापक-निदेशक अर्चना कपूर के स्वागत और संदर्भ-निर्धारण भाषण से हुई। उन्होंने प्रतिभागियों को समुदाय की परिभाषा पर विचार करने और स्थानीय मुद्दों को उठाने में CR की भूमिका को समझने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि समदाय के साथ मिलकर काम नहीं करेंगे तो सामुदायिक रेडियो के मूल आधारों का उल्लंघन माना जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे गाँवों, कस्बों और बस्तियों में लोग जिस दुनिया में जी रहे हैं, उसे दूर बैठकर कोई नहीं समझ सकता। कम्युनिटी रेडियो वही दुनिया अनकट, बिना सजावट के आपके सामने लाता है। यहाँ श्रोता सिर्फ सुनने वाले नहीं, कहानी सुनाने वाले, सवाल पूछने वाले और फैसले लेने वाले भी होते हैं। इसके बाद महेन्द्र कुमार मीणा, अंडर सेक्रेटरी, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (भारत सरकार) ने उद्घाटन भाषण दिया। उन्होंने CR तंत्र के विस्तार में मंत्रालय की प्रतिबद्धता और लोक-केंद्रित संचार की अहमियत को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह पब्लिक रेडियो- जैसे की आकाश वाणी और प्राइवेट रेडियो से भिन्न मंच है, जहां समुदाय के मुद्दों, उनकी बातों को प्राथमिकता दे जाती है। यह लोक तंत्र का बेहतरीन उदाहरण है जो समुदाय द्वारा, समुदाय के लिए और समुदाय के साथ चलाया जाता है। केवल नोट फॉर प्रॉफिट संथा ही इसका लाइसेंस ले सकते हैं। उन्होंने इस मंच को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्कीम का ब्योरा दिया। स्थानीय मेज़बान सुनील पलास्कर, नियो-टेक कम्युनिटी रेडियो ने अंबिकापुर में कार्यशाला आयोजित करने हेतु मंत्रालय और SMART का धन्यवाद किया। साथ ही उन्होंने, अपने अनुभव भी साझा किए। श्री मीणा ने कम्युनिटी रेडियो सपोर्ट स्कीम पर विस्तृत सत्र लिया, जिसमें पात्रता, तकनीकी आवश्यकताएँ और ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शामिल थी। प्रतिभागियों को नीतिगत चरणों और आम चुनौतियों पर स्पष्ट मार्गदर्शन मिला। विभिन्न सक्रिय कम्युनिटी रेडियो स्टेशनों के प्रतिनिधियों ने अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए, वक्ताओं में शामिल थे। सुनील पलास्कर, नियो-टेक कम्युनिटी रेडियो, वीरेश सिंह, हमर रेडियो, सूरजपुर, संग्या तंडन, रेडियो अर्पा, बिलासपुर, महेन्दर सिन्हा, सहयोगी रेडियो दुर्ग, दिव्य किशोर नियाल, रेडियो रायपुरिया, रायपुर उन्होंने समुदाय से जुड़ाव, सामग्री निर्माण, और जमीनी स्तर पर स्टेशन चलाने की चुनौतियों पर चर्चा की। कम्युनिटी रेडियो की समझ और तकनीक का सरल रूप बेसिल संस्था से आदिल ने CR की तकनीकी संरचना को सरल तरीके से समझाने पर केंद्रित सत्र का संचालन किया। इसके तहत प्रतिभागियों ने स्थानीय साझेदार स्टेशन नियो-टेक कम्युनिटी रेडियो का भ्रमण किया। BECIL के सहयोग से आयोजित इस व्यावहारिक प्रशिक्षण में स्टूडियो सेटअप, उपकरणों का उपयोग और स्टेशन के संचालन-प्रवाह को समझने का अवसर मिला। न्योटेक रेडियो SMART और मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने संचालन, संसाधन जुटाने, तकनीक, और लाइसेंसिंग से जुड़े प्रतिभागियों के प्रश्नों का समाधान किया।
प्रतिभागियों की आवाज़ें स्नेहा सिन्हा, सोशल एक्शन्स फ़ॉर रूरल डेवलपमेंट “इस कार्यशाला ने कम्युनिटी रेडियो को लेकर मेरी समझ को और मज़बूत किया। हम इस सीख को अपनी समुदाय—विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों—में ले जाने के लिए उत्साहित हैं, ताकि स्थानीय तकनीक को बढ़ावा दिया जा सके। रेडियो ऐसा माध्यम है जो उन लोगों तक भी पहुँचता है, जिनकी आवाज़ अक्सर नहीं सुनी जाती, या जो कैमरे के सामने आने में सहज महसूस नहीं करते।
” दीपक, कोरु फ़ाउंडेशन “पहले ही दिन मेरे कई सवाल, खासकर सुनने वालों और पहुँच को लेकर, दूर हो गए। अब मुझे समझ आया है कि 2025 में भी कम्युनिटी रेडियो कैसे प्रासंगिक और प्रभावी है, और इसकी पहुँच को किन तरीकों से बढ़ाया जा सकता है।” प्रमोद पोटाई, साथी समाज सेवी संस्था “इस कार्यशाला में आने से पहले मेरे मन में कई सवाल थे, और उनमें से अधिकांश के जवाब अब मिल चुके हैं। पहले मुझे कम्युनिटी रेडियो स्थापित करने की मंत्रालयीय ऑफ़लाइन प्रक्रिया बहुत जटिल लगती थी। लेकिन अब नया ऑनलाइन सिस्टम देखकर यह प्रक्रिया कहीं अधिक सरल और सुलभ लग रही है।”दूसरा दिन का फोकस रहेगा सामुदायिक दृष्टि और व्यवहारिक मार्गदर्शन।
दूसरे दिन की शुरुआत पुनरावलोकन और एक इंटरैक्टिव अभ्यास के साथ हुई, जिसमें CR के जनादेश और सामुदायिक स्वामित्व के महत्व पर चर्चा की गई और अपने समुदाय को पहचानने के लिये इच्छुक प्रतिभागियों को दिशा की गई। सामुदायिक रेडियो अंतिम मील पर रहने वाले लोगों तक जानकारी पहुँचाने और उनके साथ संवाद करने का एक बहुत सशक्त माध्यम है। आगे के सत्र में अर्चना कपूर प्रतिभागियों को अपनी प्राथमिक समुदाय की पहचान करने और स्थानीय जरूरतों के अनुसार कार्यक्रम विकसित करने पर चर्चा की। सभी प्रतिभागियों को वित्तीय सस्टेनेबिलिटी के विषय में भी जानकारी दी जायेगी। प्रतिबद्धता और आगे की दिशा में प्रतिभागियों से अपने-अपने जिलों में कम्युनिटी रेडियो आवेदन प्रक्रिया शुरू करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य उन ज़िलों में जहां एक भी सामुदायिक रेडियो नहीं है वहाँ इच्छुक प्रतोभागियों की मदद करना, और प्रोसेस को सरल बनाना है। अंबिकापुर कार्यशाला ने स्पष्ट किया कि कम्युनिटी रेडियो आवाज़, प्रतिनिधित्व और समावेशी विकास का एक सशक्त मंच है। संस्थागत समर्थन और स्थानीय नेतृत्व के साथ, क्षेत्र में नई CR पहलों के उभरने की उम्मीद है। मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ से 45 प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया।






















