
सूरजपुर। जिला सूरजपुर के लटोरी तहसील अंतर्गत ग्राम सुन्दरगंज के ग्रामीणों ने सूरजपुर कलेक्टर को एक सामूहिक आवेदन सौंपकर शासकीय भूमि से बेदखली की कार्यवाही पर गहरी आपत्ति जताई है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि कुछ प्रभावशाली और राजनीतिक पहुँच रखने वाले व्यक्तियों द्वारा ग्रामसभा के फर्जी प्रस्ताव के आधार पर गांव के गरीब और वर्षों से निवासरत परिवारों को शासकीय भूमि से बेदखल करने की साजिश की जा रही है।
आवेदन में उल्लेख है कि ग्राम सुन्दरगंज में कुल 311 एकड़ शासकीय भूमि पर 159 प्लॉट चिन्हित हैं, जिन पर लगभग 95% ग्रामीण परिवार बीते कई दशकों से निवास कर रहे हैं और वहीं कृषि कार्य कर अपने जीवनयापन का साधन चला रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि उनके पूर्वजों के समय से ही वे इस भूमि पर काबिज हैं और अब अचानक कुछ लोग व्यक्तिगत हितों के लिए उन्हें उजाड़ने पर आमादा हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, दिनांक 14 अप्रैल 2025 को एक तथाकथित ग्रामसभा आयोजित की गई, जिसमें न तो पंचायत सचिव मौजूद थे और न ही सरपंच स्वयं उपस्थित थीं। सरपंच के पति द्वारा गैरकानूनी तरीके से ग्रामसभा का संचालन कर प्रस्ताव पारित कराया गया, जबकि यह संविधान और पंचायत नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। ग्रामीणों का दावा है कि इस दौरान गांव में घूम-घूमकर हस्ताक्षर जुटाए गए और प्रस्ताव को जबरन वैध ठहराया गया।

ग्रामीणों ने दिनांक 9 मई 2025 को पुनः एक वैध ग्रामसभा का आयोजन कर प्रस्ताव पारित किया, जिसमें यह मांग की गई कि शासकीय भूमि की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जिन परिवारों का कब्जा सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर है, उन्हें सामुदायिक पट्टा दिया जाए और शेष भूमि पर जो लोग तीन पीढ़ियों से रह रहे हैं, उन्हें वन अधिकार पत्र का फॉर्म भरवा कर पट्टा प्रदान किया जाए। ग्रामीणों ने यह भी कहा कि यदि प्रशासन बेदखली की कार्यवाही करना चाहता है तो वह सभी पर समान रूप से लागू हो, केवल चुनिंदा गरीबों को ही निशाना न बनाया जाए।
ग्रामीणों ने मांग की है कि गांव की समस्त शासकीय भूमि की निष्पक्ष जांच कराई जाए और फर्जी ग्रामसभा प्रस्तावों की भी विधिवत जांच की जाए। साथ ही किसी भी व्यक्ति के घर या आश्रय स्थल को बिना वैध प्रक्रिया के न तोड़ा जाए।