

रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट फैसला में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) भर्ती 2023-24 से जुड़ी पात्रता शर्तों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने साफ किया कि भर्ती प्रक्रिया उसी नियमावली के अनुसार पूरी होगी, जो विज्ञापन जारी होने की तारीख पर लागू थी।
23 दिसंबर 2024 को जारी विज्ञापन में स्पष्ट प्रावधान था कि अभ्यर्थी के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री होनी चाहिए और साथ ही एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के तहत राज्य बार काउंसिल में नामांकन अनिवार्य है।
याचिकाकर्ताओं प्रियंका ठाकुर, सुधांशु सैनिक और अन्य उम्मीदवारों का तर्क था कि यह शर्त संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करती है। उन्होंने कहा कि लोक अभियोजन अधिकारी अदालत में वकीलों की तरह ही कार्य करते हैं, लेकिन सरकारी सेवा में होने के कारण बार काउंसिल में नामांकन नहीं करा पाते। सुप्रीम कोर्ट के दीपक अग्रवाल बनाम केशव कौशिक मामले में भी अभियोजन अधिकारियों को वकीलों के समकक्ष माना गया है।
हालांकि हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले का हवाला देते हुए कहा कि भर्ती प्रक्रिया विज्ञापन की तारीख पर लागू नियमों के मुताबिक ही होगी। इसलिए 23 दिसंबर 2024 का पंजीकरण नियम मान्य रहेगा, न कि 21 फरवरी 2025 का संशोधन। कोर्ट ने यह भी माना कि सीधे फ्रेश लॉ ग्रेजुएट्स को जज बनाना उचित नहीं है, बल्कि न्यायिक कार्यप्रणाली को समझने के लिए कम से कम तीन साल की प्रैक्टिस जरूरी है।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि नियमों में कोई संवैधानिक उल्लंघन नहीं है। यह शर्त न्यायिक सेवा की गुणवत्ता और कार्यकुशलता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।






















