बलरामपुर: छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने पर “छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव” के अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय बलरामपुर में “छत्तीसगढ़  कल, आज और कल” विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया। संगोष्ठी का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, पिछले 25 वर्षों की उपलब्धियों, भविष्य की चुनौतियों और संभावनाओं पर विचार करना था। साथ ही सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य की समीक्षा भी की गई।प्रथम सत्र के बीज वक्ता डॉ. पुनीत कुमार राय (प्राचार्य, शासकीय महाविद्यालय शंकरगढ़) ने छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक एवं पौराणिक पृष्ठभूमि, महापुरुषों का योगदान और बस्तर दशहरा व चक्रधर समारोह जैसी सांस्कृतिक परंपराओं पर विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने श्रीराम, श्रीकृष्ण, भगवान बुद्ध से लेकर ओशो, महर्षि महेश योगी, संत गहिरा गुरु, आचार्य श्रीराम शर्मा और स्वामी विवेकानंद तक के महापुरुषों का छत्तीसगढ़ से संबंध स्पष्ट किया। साथ ही बस्तर का दशहरा और चक्रधर समारोह जैसी सांस्कृतिक परंपराओं तथा प्रदेश की प्राकृतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विशेषताओं पर गहन विवेचन प्रस्तुत किया।

मुख्य अतिथि  लोधी राम एक्का (अध्यक्ष, नगरपालिका परिषद बलरामपुर) ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक धरोहर और लोकसंस्कृति के कारण देश में विशिष्ट पहचान रखता है। उन्होंने युवाओं से राज्य निर्माण में सक्रिय योगदान का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि  गौतम सिंह ने छत्तीसगढ़ की सामाजिक एकता और जनसहभागिता की परंपरा को प्रदेश की सबसे बड़ी शक्ति बताया। 

मंगलम पाण्डेय ने आयोजन की सराहना की और इसे सांस्कृतिक जड़ों से नई पीढ़ी को जोड़ने वाला प्रयास बताया। सत्राध्यक्ष प्रो. एन. के. देवांगन ने कहा कि ऐसे शैक्षणिक आयोजन विद्यार्थियों में गहन चिंतन को प्रोत्साहित करते हैं।
द्वितीय सत्र में बीज वक्ता प्रो. विनीत कुमार गुप्त (राजीव गांधी शा. स्ना. महाविद्यालय अंबिकापुर) ने लोकतांत्रिक परंपरा और राजनीतिक चेतना पर प्रकाश डाला। डॉ. रोजलीली बड़ा (प्राचार्य, शा. लरंगसाय अग्रणी स्ना. महाविद्यालय रामानुजगंज) ने शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की उपलब्धियों को रेखांकित किया। सत्र की अध्यक्षता श्री अगस्टीन कुजूर (प्राचार्य, शा. नवीन कन्या महाविद्यालय बलरामपुर) ने की और छत्तीसगढ़ की संस्कृति व लोककला को संरक्षित करने पर बल दिया।संगोष्ठी का संयोजन डॉ. अर्चना गुप्ता (सहायक प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान) ने किया। संचालन प्रो. नन्द किशोर सिंह (सहायक प्राध्यापक, वनस्पतिशास्त्र) और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. ओमशरण शर्मा (सहायक प्राध्यापक, कंप्यूटर विज्ञान) ने किया।संगोष्ठी में बड़ी संख्या में प्राध्यापक, कर्मचारी और छात्र-छात्राओं की गरिमामय उपस्थिति रही। वक्ताओं ने छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक परंपरा, 25 वर्षों की उपलब्धियाँ और भविष्य की चुनौतियों पर गहन विचार रखे।

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