रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाला मामले में पूर्व आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला ने शुक्रवार को ईडी कोर्ट में सरेंडर कर दिया। ईडी की टीम ने गुरुवार को उनके भिलाई स्थित घर पर दबिश दी थी। सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद गिरफ्तारी तय मानी जा रही थी, ऐसे में शुक्ला ने खुद सरेंडर का रास्ता चुना।

सुप्रीम कोर्ट से खारिज जमानत

इस मामले में आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों अफसर पहले दो हफ्ते ईडी की कस्टडी में और फिर दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहेंगे, उसके बाद ही जमानत मिल सकेगी। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि आरोपियों ने जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी।

भूपेश सरकार में मिला था अहम पद

गौरतलब है कि नान घोटाला सामने आने के वक्त आलोक शुक्ला खाद्य विभाग के सचिव थे। दिसंबर 2018 में ईओडब्ल्यू ने उनके खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इसके बावजूद 2019 में अग्रिम जमानत मिलने के बाद उन्हें भूपेश बघेल सरकार में पॉवरफुल पोस्टिंग मिली। इस दौरान उन पर जांच प्रभावित करने के आरोप लगे।

क्या है नान घोटाला?

नान घोटाला फरवरी 2015 में उजागर हुआ था। ACB/EOW ने नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) के 25 परिसरों पर छापे मारकर 3.64 करोड़ रुपए नकद जब्त किए थे। जांच में सामने आया कि लाखों क्विंटल घटिया चावल और नमक खरीदा गया, बदले में करोड़ों की रिश्वत ली गई। भंडारण और परिवहन में भी भारी भ्रष्टाचार हुआ। इस मामले में अब तक कई अधिकारी और कर्मचारी आरोपी बनाए गए हैं, जिनमें दो आईएएस भी शामिल हैं।

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