बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दहेज प्रताड़ना और दहेज हत्या के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए जांजगीर-चांपा जिले के जैजैपुर थाना क्षेत्र के ग्राम धीवरा निवासी सास-ससुर की सात साल की सजा रद्द कर दी है। जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में असफल रहा, इसलिए दोषियों को बरी किया जाता है।

मामला वर्ष 2006 में चैनकुमारी की शादी पवन कश्यप से होने के बाद का है। आरोप था कि शादी के एक साल के भीतर ही, 29 जून 2007 को चैनकुमारी ने केरोसिन डालकर आत्मदाह कर लिया। परिजनों का कहना था कि सास इंदिराबाई और ससुर अनुजराम दहेज और गहनों के लिए उसे प्रताड़ित करते थे।

ट्रायल कोर्ट ने वर्ष 2008 में सास-ससुर को आईपीसी की धारा 498ए/34 में तीन साल और 304बी/34 में सात साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए पाया कि मृतका के माता-पिता और भाई ने अदालत में साफ कहा कि ससुराल वालों ने कभी दहेज की मांग नहीं की। गहनों की मांग मृतका की व्यक्तिगत इच्छा थी।

हाईकोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि एफआईआर घटना के ढाई महीने बाद दर्ज हुई और कोई स्वतंत्र गवाह भी सामने नहीं आया। ऐसे में दहेज प्रताड़ना और हत्या के आरोप प्रमाणित नहीं हो सके। सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया।

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