छठ पूजा 2025 आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो चुका है। यह चार दिवसीय महापर्व बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। पहला दिन, नहाय-खाय, शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक है। व्रती सुबह जल्दी उठकर नदी या तालाब में स्नान करते हैं और घर की सफाई करते हैं। सात्विक भोजन में चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी शामिल होती है, जिसे बिना लहसुन-प्याज और कम मसालों के पकाया जाता है।

खरना: संयम और भक्ति का दिन

दूसरा दिन, खरना, संयम और धैर्य का प्रतीक है। व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं। सूर्यास्त के बाद छठी मइया की पूजा में गुड़ की खीर, रोटी और फल अर्पित किए जाते हैं। प्रसाद बनाने में मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का उपयोग होता है। पूजा के बाद व्रती और परिवारजन प्रसाद ग्रहण करते हैं, और 36 घंटे के कठिन निर्जला व्रत की शुरुआत होती है।

डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य

तीसरे दिन व्रती नदी या तालाब के किनारे डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल और अन्य प्रसाद सजाकर दूध और जल अर्पित किया जाता है। चौथे दिन सुबह सूर्योदय के समय उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है और प्रसाद बांटा जाता है। यह आभार, नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश देता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। पूरा समुदाय घाटों को सजाता है और लिंग, जाति या आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना शामिल होता है। छठ के गीत और परंपराएं इसे और जीवंत बनाते हैं। यह पर्व भक्ति, अनुशासन और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का संदेश देता है।

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