कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में प्रशासन की चेतावनी के बाद भी लोग मनोरंजन के नाम पर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। सोमवार को भी पांच युवक युवती चोरनई नदी के जलप्रपात में नदी की उफनती धारा के बीच फंस गए, जिन्हें भरी मशक्कत के बाद रात दो बजे रेस्क्यू किया जा सका। लगभग 10 घंटे तक जहां युवक युवतियों की जान सांसत में पड़ी रही, वहीं प्रशासन, परिजन और स्थानीय लोगों की सांसें भी अधर में लटकी रही।

दरअसल, जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर देवपहरी गांव की चोरनई नदी में गोविंद झुंझा जलप्रपात है। यह जिले के मनोरम पिकनिक स्थलों में से एक है। बारिश के मौसम में यहां की वादियां और अधिक खिल जाती हैं। बड़ी संख्या में लोग पिकनिक पर देवपहरी पहुंचते हैं।सोमवार को भी जिला मुख्यालय से कोसों दूर देवपहरी के गोविंद झुंझा जलप्रपात में पिकनिक मनाने के लिए दो परिवार के पांच सदस्य देवपहरी पहुंचे हुए थे। इनमें तीन लड़कियां और दो लड़के शामिल थे। शाम 4 बजे ये सभी जलप्रपात के सामने व्यू प्वाइंट में मौजूद थे। यहां वे सभी मोबाइल से फोटो खींचने लगे।तभी सहसा ही चोरनई नदी में पानी का सैलाब उमड़ आया और सभी युवक युवती व्यू प्वाइंट में ही तेज बहाव में फंस गए। उनके चारों ओर से पानी तेजी से प्रवाहित होने लगा। उन्हे बाहर निकलने का मौका भी नहीं मिला। अपने आसपास पानी का तेज बहाव देखकर युवक युवतियां डर गए। उन्होंने मदद के लिए कोरबा स्थित अपने परिवार से संपर्क किया।

परिजनों ने युवक – युवतियों के जलप्रपात के ब्यू प्वाइंट में फंस जाने की जानकारी प्रशासन और पुलिस को दी। घटनास्थल पर लेमरू पुलिस थाना प्रभारी राजेश खलखो पुलिस बल के साथ पहुंचे। वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची, लेकिन जल स्तर अधिक था और पानी का बहाव काफी तेज था इसलिए युवक युवतियों को सुरक्षित बाहर नहीं निकाल सके। तब कोरबा से आपदा प्रबंधन विभाग की टीम को बोट के साथ देवपहरी रवाना किया गया।
ब्यू प्वाइंट और उसके आसपास पानी का बहाव अधिक होने से बचाव कार्य में परेशानी आ रही थी। पुलिस विभाग, वन विभाग और आपदा प्रबंधन की टीम ने जल स्तर कम होने की प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया।लेमरू पुलिस थाना प्रभारी राजेश खलखो ने बताया कि पुलिस, वन और आपदा प्रबंधन की टीम युवक युवतियों को हौसला बंधाते हुए मौके पर मौजूद रहकर जल स्तर कम होने का इंतजार करते रहे। बाद में रात लगभग दो बजे युवक युवतियों का सफल रेस्क्यू किया गया।

आपको बता दें कि पिछले वर्ष भी दो युवक युवती यहां ब्यू प्वाइंट में करीब 12 घंटे तक फंसे रह गए थे और लगातार हो रही बारिश के बीच बड़ी मुश्किल से उनका रेस्क्यू किया जा सका था। इस जल प्रपात में सामान्य दिनों में भी तेज प्रवाह और पानी की गहराई में फंसकर अब तक दस से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके बाद भी यहां पिकनिक के लिए आने वाले लोग कोई सबक लेते नजर नहीं आ रहे हैं।

यहां उल्लेखनीय है कि 15 जून से 15 अक्टूबर तक सभी जल प्रपात स्थलों पर आमजन का प्रवेश प्रतिबन्धित रहता है। वर्षाकाल होने की वजह से इस दौरान इन स्थलों पर जलप्रवाह तेज होने और अकस्मात ही बाढ़ के हालात निर्मित होने के आसार रहते हैं। लिहाजा सुरक्षा की दृष्टि से जल प्रपात स्थलों पर आमजन का प्रवेश इस अवधि में निषेध रहता है। बाकायदा इसकी सूचना भी जल प्रपात स्थलों पर जारी की जाती है। जिला प्रशासन भी हर साल मीडिया समेत अन्य माध्यमों से आमजन को इस अवधि में जल प्रपात स्थलों पर न जाने की सलाह और अनुरोध जारी करता है। बावजूद इसके लगातार बारिश में लोग तमाम सुरक्षा चेतावनी और निर्देशों की अवहेलना कर सेल्फी लेने, मौज – मस्ती के चक्कर में जल प्रपात स्थलों के डेंजर पॉइंट पर जाने का मोह नहीं छोड़ते। नतीजन खुद की जिंदगी तो मुसीबत में डालते ही हैं, साथ ही जिला प्रशासन के लिए भी मुसीबत खड़ी करते है। ऐसे मामले आने पर रेस्क्यू आदि अभियान में समय, धन एवं श्रम की हानि होती है। प्रशासन का कहना है कि आमजन को इन सबसे बचने जागरूकता का परिचय देना चाहिए।

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