
नई दिल्ली। चेन्नई के दो घोटालेबाजों ने केंद्रीय मंत्री और पूर्व राष्ट्रपति के जाली पत्रों और भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) की फर्जी ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया। घोटालेबाजों ने भोले-भाले लोगों को एक काल्पनिक भ्रष्टाचार-विरोधी संगठन का पदाधिकारी बनाने का दावा करके उनसे 25 लाख रुपये ठग लिये।
सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार, दो आरोपितों रेनिंगस्टन सेल्स और विसेंट राजू ने लोगों से पैसे ठगने की योजना बनाई और लोगों को एक फर्जी संगठन भ्रष्टाचार-रोधी और अपराध-निरोधक (एसीएसी) प्रकोष्ठ के पदाधिकारी और कार्यकारी के रूप में नियुक्त करने का दावा किया।
CBI ने विशेष अदालत में पेश किया आरोप-पत्र
सीबीआई ने दिल्ली के एक विशेष अदालत में पेश किए गए आरोप-पत्र में कहा कि जालसाजी को विश्वसनीय बनाने के लिए दोनों ने आधिकारिक दिखने वाले आडंबर तैयार किए, जिनमें राष्ट्रीय प्रतीक वाले लेटरहेड, रबर स्टैम्प, आइडी कार्ड और विजि¨टग कार्ड शामिल हैं।
आरोप-पत्र के अनुसार, आरोपितों ने चेन्नई में दो फर्जी कार्यालय स्थापित किए और दिल्ली के पहाड़गंज में अपना मुख्य कार्यालय होने का दावा किया, जबकि इसमें दिया गया पता फर्जी था। दिल्ली हाई कोर्ट से सेल्स और राजू को अग्रिम जमानत मिल गई और अब उन्हें विशेष सीबीआई अदालत ने तलब किया है। सीबीआई अदालत ने दोनों के खिलाफ आरोप का संज्ञान लिया है।
जून 2017 में आरोपियों ने तैयार किया जारी पत्र
आरोपितों ने 10 जून 2017 को एक जाली पत्र तैयार किया, जिस पर केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के हस्ताक्षर थे, जिसमें सभी राज्य के मुख्य सचिवों को सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश आरएम लोढ़ा को एसीएसी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने की सूचना दी गई थी।