BSP Political Challenges : एक बार फिर चर्चा में हैं, क्योंकि बहुजन समाजवादी पार्टी का जनाधार लगातार सिमटता जा रहा है। जिस पार्टी ने कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाली, आज उसकी स्थिति बेहद कमजोर नजर आ रही है। पहले यूपी विधानसभा, फिर लोकसभा और अब राज्यसभा में भी बसपा की मौजूदगी लगभग खत्म होने वाली है। वर्तमान में यूपी में बसपा का सिर्फ एक विधायक है, लोकसभा में पार्टी का खाता तक नहीं खुल पाया और राज्यसभा में केवल एक सांसद बचे हैं।

बसपा के इकलौते राज्यसभा सांसद रामजी गौतम हैं, जिनका कार्यकाल नवंबर 2026 में समाप्त हो रहा है। इसके बाद यह पहली बार होगा जब संसद के दोनों सदनों में से किसी में भी बसपा का कोई प्रतिनिधि नहीं रहेगा। रामजी गौतम वर्ष 2019 में भाजपा के समर्थन से राज्यसभा पहुंचे थे, लेकिन उनके रिटायर होने के बाद संसद में बसपा की वापसी के आसार बेहद कमजोर माने जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश से कुल 10 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 2026 में खत्म हो रहा है। इनमें भाजपा के सीमा द्विवेदी, बृजलाल, हरदीप सिंह पुरी, चंद्रप्रभा उर्फ गीता, नीरज शेखर, अरुण सिंह, दिनेश शर्मा और बीएल वर्मा शामिल हैं। इसके अलावा सपा से रामगोपाल यादव और बसपा से रामजी गौतम भी इसी सूची में हैं।

वर्तमान राजनीतिक समीकरणों को देखें तो BSP Political Challenges और गहरे नजर आते हैं। यूपी में एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 37 विधायकों का समर्थन जरूरी होता है। 402 विधानसभा सीटों में भाजपा के पास 258 विधायक हैं, जबकि बसपा के पास केवल 1 विधायक है। इस स्थिति में भाजपा से 8 और सपा से 2 राज्यसभा सांसद बन सकते हैं, लेकिन बसपा किसी भी हाल में एक भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं दिख रही है।

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