बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शहर और हाईवे पर आवारा मवेशियों से लगातार हो रहे हादसों पर गहरी नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार और संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई।

कोर्ट ने कहा कि सरकार सिर्फ योजनाएं और SOP बनाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर सकती। जब तक उनका सही क्रियान्वयन नहीं होगा, सड़कें हादसों का जाल बनी रहेंगी और लोगों व मवेशियों की मौत का सिलसिला जारी रहेगा।

कोर्ट का निर्देश और सवाल

सुनवाई के दौरान बेंच ने अधिकारियों से कहा कि पेट्रोलिंग या मवेशी हटाने की कार्रवाई सिर्फ दिखावा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने पूछा कि मवेशियों को गौठान या चारागाह में क्यों नहीं भेजा जा रहा? कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, शासन, बिलासपुर कलेक्टर और नगर निगम को शपथपत्र पर जवाब देने के आदेश दिए।

राजमार्ग प्राधिकरण ने बताया कि मवेशियों को हटाने और जिओ-टैगिंग की प्रक्रिया नगर पालिका स्तर से चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाएगी। शासन ने कहा कि रतनपुर से एनएच-130 तक मवेशियों के लिए मंच और शेड बनाए गए हैं, ताकि उन्हें सड़क पर भटकने से रोका जा सके।

हाईकोर्ट के आदेश

मुख्य सचिव को सभी सुझावों पर पुनर्विचार करने के आदेश।

शहर और हाईवे पर मवेशियों के दिखाई न देने की व्यवस्था सुनिश्चित करना।

मवेशियों के लिए स्थायी आश्रय, पानी और चारे की व्यवस्था करना।

पंचायत से लेकर नगर निगम तक सभी जिम्मेदार इकाइयाँ सक्रिय रूप से कार्य करें।

सड़क हादसों और मवेशियों की मौत

प्रदेश में मवेशियों की मौतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में:

जयरामनगर रोड पर ट्रेलर से 14 मवेशी कुचले गए, जिसमें 10 की मौत हुई।

गतौरा में एक दिन पहले 8 मवेशी मारे गए।

बोदरी क्षेत्र में मवेशियों के झुंड से ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!