रायपुर : में मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक पहल देखने को मिली, जहां मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग और प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों के बीच “रक्षक पाठ्यक्रम” के लिए एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। बाल अधिकार एवं संरक्षण पर आधारित यह विशेष पाठ्यक्रम देश में अपनी तरह का पहला शैक्षणिक नवाचार माना जा रहा है, जो युवाओं को बच्चों की सुरक्षा और संवेदनशील मामलों की समझ के लिए तैयार करेगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस पहल को युवाओं के सुरक्षित, जागरूक और जिम्मेदार भविष्य के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि रक्षक पाठ्यक्रम न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाएगा, बल्कि छात्रों में बाल अधिकार से जुड़े विशेषज्ञ कौशल विकसित करेगा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि कई बार बच्चे अनजाने में भटक जाते हैं, ऐसे में उन्हें सही दिशा देना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी के अधिकांश संकल्प पूरे किए हैं। किसानों का बोनस, महतारी वंदन योजना और सभी के लिए आवास जैसी योजनाओं ने राज्य को सुशासन की ओर मजबूत कदम बढ़ाने में मदद की है। इसी उद्देश्य से सुशासन एवं अभिसरण विभाग का गठन किया गया है।

कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण बेहद चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है — चाहे वह भिक्षावृत्ति हो, परित्यक्त बच्चों का पुनर्वास या संवेदनशील मामलों का समाधान। यह पाठ्यक्रम ऐसे युवाओं को तैयार करेगा जो संवेदनशीलता और सेवा भाव के साथ समाज में योगदान दें।

उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने इसे छत्तीसगढ़ के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया। उन्होंने कहा कि एक वर्षीय “पीजी डिप्लोमा इन चाइल्ड राइट्स एंड प्रोटेक्शन” राज्य को इस क्षेत्र में राष्ट्रीय पहचान दिलाएगा।

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