बिलासपुर: हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे याह्या ढेबर को हाईकोर्ट से एक और बड़ा झटका लगा है। याह्या ढेबर पैरोल याचिका को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभू दत्त गुरू की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि पैरोल देने से पीड़ित पक्ष में भय बढ़ सकता है और आरोपी के फरार होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

याह्या ढेबर ने अपनी मां के 40वें दिन के अनुष्ठान में शामिल होने के लिए रायपुर कलेक्टर से 14 दिनों की सामान्य छुट्टी (पैरोल) मांगी थी। कलेक्टर द्वारा आवेदन अस्वीकार किए जाने के बाद उसने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने माना कि आरोपी गंभीर अपराध में दोषी ठहराया गया है और पैरोल देना सार्वजनिक शांति के लिए खतरा हो सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि परिवार से मिलने का आधार पैरोल देने के लिए पर्याप्त नहीं है।

याह्या ढेबर को पहले भी सुप्रीम कोर्ट से मानवीय आधार पर अंतरिम राहत मिल चुकी है। कोर्ट ने सितंबर और अक्टूबर 2025 में उसकी बीमार मां से मिलने के लिए कुल 28 दिनों की अंतरिम जमानत दी थी। मां के निधन के बाद अंतिम संस्कार के लिए भी चार सप्ताह की अंतरिम राहत प्रदान की गई थी, जो 10 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रही है।

याह्या ढेबर को 31 मई 2007 को रायपुर के स्पेशल जज ने राम अवतार जग्गी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 4 जून 2003 को हुई यह हत्या छत्तीसगढ़ की पहली बड़ी राजनीतिक हत्या मानी जाती है, जिसमें कुल 31 आरोपी दोषी पाए गए थे। अदालत ने सभी परिस्थितियों का परीक्षण कर स्पष्ट किया कि इस चरण में 14 दिनों की पैरोल देना उचित नहीं है। इसलिए, कलेक्टर के आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है और याचिका खारिज की जाती है।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!