रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि के बाजार मूल्य निर्धारण को लेकर एक अहम फैसला लिया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय (महानदी भवन) में हुई मंत्रीपरिषद की बैठक में वाणिज्यिक कर (पंजीयन) विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इस कदम का मकसद किसानों, भूमि अधिग्रहण से प्रभावित हितग्राहियों और राजस्व मामलों में व्याप्त विसंगतियों को दूर करना है।

नई व्यवस्था के तहत अब 500 वर्गमीटर तक के भूखंडों की दर समाप्त कर दी गई है। इसके बजाय पूरे रकबे का मूल्यांकन हेक्टेयर दर से किया जाएगा। यह फैसला भारतमाला परियोजना और बिलासपुर के अरपा-भैंसाझार क्षेत्र में सामने आई अनियमितताओं से बचने में सहायक होगा।

इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों की परिवर्तित भूमि के मूल्यांकन में सिंचित भूमि की ढाई गुना दर की शर्त को हटा दिया गया है। शहरी सीमा से लगे गांवों और निवेश क्षेत्रों की भूमि के मूल्य अब वर्गमीटर के आधार पर तय होंगे।

सरकार का मानना है कि इस संशोधन से भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामलों में विवादों की संख्या घटेगी, और किसानों को पारदर्शी और न्यायपूर्ण मुआवजा मिल सकेगा।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे नीति निर्माण की दिशा में दूरदर्शी कदम बताया है। उन्होंने कहा कि गाइडलाइन दरों की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाकर न केवल किसानों को न्याय मिलेगा, बल्कि राज्य की विकास परियोजनाओं की गति भी बढ़ेगी।

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