

नारायणपुर: अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षा बलों ने 22 सितंबर को ऐतिहासिक सफलता हासिल की। केंद्रीय समिति के दो वरिष्ठ माओवादी राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी और कोसा दादा उर्फ कादरी सत्यनारायण रेड्डी मुठभेड़ में ढेर हो गए। दोनों पर लगभग 1.8 करोड़ रुपये का ईनाम घोषित था।
मुठभेड़ स्थल से सुरक्षा बलों ने एके-47, इंसास राइफल, बीजीएल लॉन्चर, विस्फोटक, माओवादी साहित्य और अन्य सामग्री बरामद की। दुर्गम जंगल, नदी-नाले और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद सुरक्षा बल लगातार अभियान में जुटे रहे।राजू दादा और कोसा दादा पिछले तीन दशकों से दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति में सक्रिय थे और कई हिंसक घटनाओं के मास्टरमाइंड रहे। राजू दादा पर महाराबेड़ा में 27 जवान, जोनागुडेम और टेकलगुडा में 22-22 जवान शहीद करने का आरोप था। कोसा दादा ने कच्चापाल में 6 ग्रामीणों की हत्या, गढ़चिरौली और मदनवाड़ा एंबुश में 48 जवानों की हत्या सहित कुल 62 गंभीर अपराधों में भाग लिया।
पुलिस अधीक्षक नारायणपुर रोबिनसन गुड़ियाने कहा, “अबूझमाड़ लगभग 5000 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यह माओवादी गढ़ रहा है। केंद्रीय समिति के दो वरिष्ठ नक्सलियों के मारे जाने से संगठन की कमर टूट गई है। हम नक्सल मुक्त बस्तर की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं।”
आईजी बस्तर पी. सुंदरराज ने बताया कि जनवरी 2024 से अब तक बस्तर रेंज में कुल 437 कुख्यात माओवादी मारे जा चुके हैं, जिससे संगठन बिखरा और नेतृत्वविहीन हो गया है। डीआईजी कांकेर अमित तुकाराम कांबले ने कहा कि केंद्रीय समिति के इन वरिष्ठ नक्सलियों की मौत से संगठन नेतृत्वविहीन हो गया और आम जनता पर उनका प्रभाव समाप्त होगा।सुरक्षा बलों ने न केवल माओवादी नेतृत्व को नष्ट किया बल्कि उनके सशस्त्र दस्तों और ईको सिस्टम को भी भारी क्षति पहुंचाई। अबूझमाड़ में चल रहे संयुक्त अभियान में ITBP, BSF, STF और DRG की टीमें सक्रिय हैं। सुरक्षा बलों का यह समन्वित प्रयास माओवादी गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगाने में सफल साबित हुआ है।
राजू दादा और कोसा दादा की मौत से नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है। सुरक्षा बलों ने स्थानीय जनता की मदद और साहसिक कार्रवाइयों के जरिए नक्सलियों के गढ़ पर निर्णायक कामयाबी हासिल की है। यह कदम नक्सल मुक्त भारत और छत्तीसगढ़ की दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है।






















