
बलरामपुर – सरगुजा से अभिषेक सोनी की रिपोर्ट
अंबिकापुर/बलरामपुर। बहुत तेजी से युग डिजिटल दुनिया में परिवर्तित हो रहा है, लगातार नए टेक्नोलोजी आ रहे है जिनका मकसद जनजीवन और जीवनशैली को आसान बनाना है।देश डिजिटल क्रांति के युग में कदम रख चुका है, लेकिन जैसे-जैसे तकनीक हमारे जीवन को आसान बना रही है, जैसे ही लोग डिजिटल दुनिया में आए वैसे ही ठगी करने का तरीका भी बदल रहा है। ठग रोज नए नए तरीके से साइबर ठगी को अंजाम दे रहे है।साइबर ठगी से हर कोई अछूता नहीं रहा है किसी न किसी माध्यम से अधिकतम लोग इसका शिकार होते आ रहे हैं। नए नए पैटर्न से ठगी की जा रही है जब तक इनके पैटर्न को समझा जाता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। ठगो ने ठगी करने के पैटर्न में एक अलग ही तरीका ढूंढ निकाला है, ठग अब “म्यूल अकाउंट “का उपयोग कर अनपढ़ और भोले भाले लोगों को लालच प्रलोभन देकर अपना शिकार बना रहे है। अब तक OTP ठगी, बैंक कॉल स्कैम और फेक वेबसाइट जैसी ठगी आम हो चुकी थी, लेकिन अब साइबर अपराधियों ने म्यूल अकाउंट जैसे एक नए और खतरनाक तरीके को अपना लिया है।
क्या है म्यूल अकाउंट?
“म्यूल अकाउंट” ऐसे बैंक खाते होते हैं जो अपराधियों द्वारा अपने अवैध लेन-देन को छिपाने और पुलिस तथा साइबर सेल की निगरानी से बचने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये खाते असल में किसी मासूम, बेरोजगार, या अनपढ़ व्यक्ति के नाम पर खोले जाते हैं, जिन्हें लालच, नौकरी का झांसा, या पैसे कमाने का ऑफर देकर फंसाया जाता है।
जिन लोगों के नाम पर ये खाते चलते हैं, वे अक्सर इस बात से अंजान होते हैं कि उनके खातों का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों में हो रहा है। जब किसी ठगी की जांच होती है, तो सबसे पहले इसी खाते के मालिक को पुलिस पकड़ती है, जबकि असली ठग कहीं और से ऑपरेट कर रहे होते हैं।
कैसे होता है म्यूल अकाउंट का इस्तेमाल?
साइबर अपराधी बेरोजगार युवाओं, ग्रामीण इलाकों के लोगों और छात्रों को ऑनलाइन या व्हाट्सएप, टेलीग्राम जैसे प्लेटफार्म के जरिए आकर्षक नौकरी या ‘वर्क फ्रॉम होम’ का झांसा देते हैं। बैंक खाता खुलवाया जाता है या उनका मौजूदा खाता मांगा जाता है, जिसमें ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने की सहमति ली जाती है।फिर उस खाते का इस्तेमाल ठगी के पैसे को रिसीव करने, इधर-उधर ट्रांसफर करने या निकालने के लिए किया जाता है।जैसे ही साइबर क्राइम सेल जांच करती है, पैसे उस व्यक्ति के खाते में पाए जाते हैं और वही आरोपी माना जाता है। ठगों के द्वारा बेरोजगार युवा,कॉलेज छात्र,ग्रामीण क्षेत्रों के अनपढ़/कम पढ़े-लिखे लोग,मोबाइल, इंटरनेट और बैंकिंग सुविधा का कम ज्ञान रखने वाले नागरिकों को शिकार बनाया जा रहा है।

प्रलोभन देकर खोले जा रहे म्यूल अकाउंट, ऑनलाइन सट्टेबाज़ी व अवैध लेन-देन में हो रहा उपयोग
ग्रामीण क्षेत्रों में साइबर ठगी का एक नया तरीका सामने आया है, जिसमें भोले-भाले ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं, नौकरी या अन्य लाभों का झांसा देकर बैंकों में ले जाया जा रहा है। वहां उनसे उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे निजी दस्तावेज लेकर उनके नाम पर बैंक खाता खोला जा रहा है, जिसे बाद में म्यूल अकाउंट के रूप में अवैध कार्यों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, ठग ग्रामीणों से उनके बैंक खाते की पासबुक और एटीएम कार्ड भी ले लेते हैं। इसके बदले में उन्हें कुछ सौ या हजार रुपये की नगद राशि दे दी जाती है। इन खातों में ठग अपना मोबाइल नंबर लिंक करवाते हैं, जिसे कुछ समय बाद बंद कर दिया जाता है। इन म्यूल अकाउंट्स का उपयोग ऑनलाइन सट्टेबाजी, खासकर क्रिकेट मैचों के दौरान अवैध रूप से पैसों के लेन-देन, और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों में किया जा रहा है।
इन ठगों को उनके आकाओं की ओर से बड़ी संख्या में म्यूल अकाउंट खुलवाने का लक्ष्य (Target) दिया जाता है, जिसके बदले उन्हें मोटी रकम मिलती है। इन अकाउंट्स का उपयोग 3 महीने तक किया जाता है जिसके बाद अकाउंट होल्ड हो जाता है।यह पूरा नेटवर्क सुनियोजित तरीके से संचालित हो रहा है, और इसके तार अंतरराज्यीय या अंतरराष्ट्रीय गिरोहों से भी जुड़े हो सकते हैं।
क्या कहता है कानून?
भारतीय कानून के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के खाते का उपयोग धोखाधड़ी या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है, तो वह धारा 318(4), 319(2) बीएनएस, 66D (आईटी एक्ट) जैसी गंभीर धाराओं में आरोपी माना जा सकता है ,भले ही वह जान-बूझकर शामिल न हो।
पूर्व में भी हो चुके हैं कई बड़े खुलासे (कुछ केस स्टडी के आधार पर), साइबर ठगी पे नहीं लग रहा लगाम
1) बलरामपुर पुलिस ने मास्टरमाइंड समेत 8 को किया था गिरफ्तार,3 लैपटॉप, 23 मोबाइल, 18 सिम कार्ड, 46 एटीएम कार्ड, 1 वाहन किया था जब्त: पुलिस ने साइबर अपराध में संलिप्त म्यूल बैंक खाता नेटवर्क का मास्टरमाइंड सचिन सैनी उर्फ बिट्टू बिहारी समेत 8 आरोपियों को 23 अप्रैल 2025 को सिंगरौली (मध्यप्रदेश) से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इनके पास से 30 लाख रुपये मूल्य का सामान जब्त किया, जिसमें 3 लैपटॉप, 23 मोबाइल, 18 सिम कार्ड, 46 एटीएम कार्ड, 1 वाहन आदि शामिल हैं।जांच में पता चला था कि गिरोह कॉलेज छात्रों से बैंक खाते 4,000–12,000 रुपये में खरीदता था और दलालों को 10,000–15,000 रुपये में बेचता था। इन खातों का इस्तेमाल देशभर में साइबर ठगी व ऑनलाइन सट्टा (KABOOK ऐप) के लिए किया जाता था। अब तक 4 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन का खुलासा हुआ है।पुलिस ने खातों से 1.5 लाख रुपये फ्रीज किए थे।
2) 19 मोबाइल फोन, 21 एटीएम कार्ड, और ₹20,100 नकद जब्त: सरगुजा जिले की कोतवाली पुलिस ने 7 मई 2025 को रितिक मंदिलवार उर्फ बमफोड़ को गिरफ्तार किया था वह फर्जी बैंक खातों (म्यूल एकाउंट) के जरिए सट्टा लेन-देन में संलिप्त था।यह मामला 13 मई 2024 को सामने आया था जब तीन आरोपी—आयुष सिन्हा, अमित मिश्रा, और शुभम केसरी—को सट्टा खेलते हुए गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने उनके पास से 19 मोबाइल फोन, 21 एटीएम कार्ड, और ₹20,100 नकद जब्त किए थे।जांच में सामने आया कि अमित मिश्रा ने रितिक मंदिलवार की मदद से कई फर्जी बैंक खाते खुलवाए थे। रितिक ने 14-15 लोगों के नाम पर खाते खुलवाकर उनकी जानकारी सट्टेबाज़ों को दी थी।
3) 14 बैंक खातों में विभिन्न राज्यों से ठगी की रकम ट्रांसफर:
कोरिया जिले में साइबर ठगी के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ था। पुलिस अधीक्षक रवि कुमार कुर्रे के निर्देश पर गठित टीम ने कार्रवाई करते हुए 24 अप्रैल को 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जो म्यूल अकाउंट (फर्जी बैंक खाते) के जरिए ठगी में शामिल थे। बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैकुंठपुर शाखा से मिली जानकारी के आधार पर जांच में पता चला था कि 14 बैंक खातों में विभिन्न राज्यों से ठगी की रकम ट्रांसफर की गई थी। इन खातों को जानबूझकर साइबर अपराधियों को सौंपा गया था। पैसों के बदले अपने बैंक खाते, पासबुक और एटीएम कार्ड अपराधियों को दिए थे।
4) 10 से 25 हजार लेकर बैंक खाता ,एटीएम कराते थे उपलब्ध 5 हुए थे गिरफ्तार: सूरजपुर जिले के विश्रामपुर थाना पुलिस ने 16 अप्रैल 2025 को म्यूल अकाउंट के जरिए धोखाधड़ी में शामिल दो और आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनके खातों में 11 लाख रुपए से अधिक का ट्रांजेक्शन हुआ था। कार्रवाई पहले पकड़े गए तीन आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर की गई थी।आरोपियों ने चन्द्रदेव, कमलेश्वर और रूपन के बैंक खाते किराए पर लेकर साइबर ठगों को दिए थे , और प्रति खाते 10 से 25 हजार रुपए तक लिए। आरोपी अनिल प्रति ट्रांजेक्शन पर 0.25% कमीशन लेता था। खातों में ₹6.03 लाख और ₹5.25 लाख के फ्रॉड के ट्रांजेक्शन की पुष्टि हुई थी, जिन पर देश के कई राज्यों जैसे कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात, दिल्ली आदि में साइबर पोर्टल पर शिकायत दर्ज है।
5) 124 एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हुए 28.76 करोड़ रुपये जमा और 25.51 करोड़ रुपये निकाले: जशपुर जिले के तपकरा थाना क्षेत्र में महादेव सट्टा ऐप से जुड़े एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ था। पुलिस ने इस मामले में 24 जुलाई 2024 को चार आरोपियों गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा था।गिरोह ने ग्रामीणों को नौकरी का झांसा देकर उनके नाम से 95 बैंक खाते खुलवाए और उनके जरिए 124 एटीएम कार्ड का इस्तेमाल करते हुए 28.76 करोड़ रुपये जमा और 25.51 करोड़ रुपये निकाले।विकास लकड़ा नामक युवक की शिकायत पर खुलासा हुआ कि उसके दस्तावेज का दुरुपयोग हुआ है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 2.30 लाख रुपये नकद, बैंक दस्तावेज, सील, सिमकार्ड, पासपोर्ट और अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की है।अब तक 3.24 करोड़ रुपये की राशि को फ्रीज किया जा चुका है।
6) म्यूल अकाउंट से ₹16 लाख की साइबर ठगी, गांधीनगर थाने में मामला दर्ज: सरगुजा जिले के गांधीनगर पुलिस ने 28 मई 2025 को साइबर ठगी के एक मामले में म्यूल अकाउंट धारक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपी के खाते में देश के विभिन्न राज्यों से ठगी की कुल ₹16.05 लाख की राशि जमा पाई गई।भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र से सूचना मिलने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश अग्रवाल के निर्देश पर जांच की गई। आरोपी के विरुद्ध अपराध क्रमांक 307/25, धारा 318(4), 319(2) बी.एन.एस. के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई जारी है।
प्रदेश के विभिन्न थानों में म्यूल अकाउंट के माध्यम से की गई साइबर ठगी के कई मामले दर्ज हो चुके हैं। हर महीने नए-नए मामलों की रिपोर्टिंग हो रही है। कुछ मामलों में म्यूल अकाउंट धारक स्वयं आरोपी बना दिया जाता है, जबकि वह असलियत में ठगी का शिकार होता है। अब भी आमजन में साइबर सुरक्षा को लेकर पर्याप्त जागरूकता नहीं है। लोग अजनबियों से आई कॉल्स, लिंक या ऑफर्स पर भरोसा कर बैठते हैं।साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता अत्यंत आवश्यक है, विशेष रूप से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जहां डिजिटल साधनों का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसके लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए ताकि लोग ऑनलाइन धोखाधड़ी से सतर्क रह सकें। युवाओं और ग्रामीण जनता को डिजिटल बैंकिंग से जुड़े खतरों और उनसे बचाव की जानकारी देना जरूरी है, जिससे वे सुरक्षित लेन-देन कर सकें। इसके साथ ही, फर्जी जॉब ऑफर्स या अन्य ऑनलाइन प्रलोभनों से सावधान रहने की जरूरत है; किसी भी ऑफर को स्वीकार करने से पहले उसकी पूरी जांच अवश्य करें। यदि किसी को लगे कि उनके बैंक खाते का दुरुपयोग हो रहा है, तो उन्हें तुरंत साइबर सेल या नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज करानी चाहिए, ताकि समय रहते आवश्यक कार्रवाई की जा सके।