बलरामपुर। बलरामपुर जिले के विकासखंड बलरामपुर अंतर्गत ग्राम धनेशपुर स्थित चार दशक पुराना लुत्ती (सतबहिनी) डैम मंगलवार रात लगभग 10 बजे अचानक टूट गया। भारी बारिश के चलते डैम का जलस्तर बढ़ गया था, जिसके बाद बांध का एक हिस्सा टूटने से नीचे बसे घर पानी की चपेट में आ गए। इस भीषण हादसे में अब तक 4 लोगों की मौत, 3 लोग घायल और 3 लोग लापता बताए जा रहे हैं। हादसे के बाद पूरे गांव में मातम और दहशत का माहौल है।

पानी की चपेट में आए घरों से निकलने का मौका तक नहीं मिला। हादसे में बतसिया (61 वर्ष), चिंता सिंह (30 वर्ष), रंजती सिंह (28 वर्ष) और प्रिया (6 वर्ष) की मौत हो गई। इस दौरान घर के मुखिया रामवृक्ष सिंह (65 वर्ष) पानी में बहते-बहते बच गए, लेकिन गंभीर रूप से घायल हो गए। साथ ही अनूप सिंह (19 वर्ष), कालीचरण टोप्पो (65 वर्ष) और फूलमनिया टोप्पो (61 वर्ष) भी घायल हुए, जिनका जिला अस्पताल में उपचार जारी है। वहीं, कार्तिक सिंह (6 वर्ष), वंदना सिंह (3 वर्ष) और जीतन सिंह (65 वर्ष) अब तक लापता हैं। उनकी तलाश एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस बल द्वारा लगातार की जा रही है।


लुत्ती डैम से करीब 500 मीटर की दूरी पर दो मकान सीधे बहाव में आ गए। हालांकि इसके आगे बसे पांच अन्य घरों से लोग समय रहते बाहर निकल गए, जिससे और बड़ी जनहानि टल गई। हादसे में तीन परिवारों के 55 बकरियां, 5 गाय और 4 बैल बह गए। साथ ही लगभग 25 एकड़ धान की फसल और डेढ़ एकड़ टमाटर-खीरा की खेती पूरी तरह नष्ट हो गई। कई घरों में पानी भर गया है और ग्रामीण बेघर हो गए हैं।

घटना की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन और पुलिस का अमला रात में ही मौके पर पहुंच गया। कलेक्टर राजेंद्र कटारा, पुलिस अधीक्षक वैभव बैंकर रामलाल और संभागायुक्त नरेंद्र दुग्गा ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर राहत-बचाव कार्य की समीक्षा की।प्रभावित परिवारों के लिए राहत शिविर बनाया गया है।वहां भोजन, पानी और चिकित्सा व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार शिविरों और गांवों में जाकर जांच कर रही हैं।प्रशासन ने मकान, फसल और पशुहानि का सर्वे शुरू कर दिया है, जिसके बाद मुआवजा वितरण किया जाएगा।


मुख्यमंत्री ने जताया शोक, दिए मदद के निर्देश

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “यह अत्यंत दुखद और पीड़ादायी घटना है। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूँ। इस कठिन घड़ी में प्रदेश सरकार शोकाकुल परिवारों के साथ खड़ी है।”मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि मृतकों के परिजनों को शासकीय नियमों के अनुरूप अनुग्रह सहायता राशि शीघ्र स्वीकृत की जाए।प्रभावित परिवारों को अस्थायी आश्रय, खाद्यान्न और आवश्यक सामग्री दी जाए।मकान, फसल और पशुहानि का विस्तृत सर्वे कर मुआवजा उपलब्ध कराया जाए।

पूर्व विधायक ने लगाया लापरवाही का आरोप

रामानुजगंज विधानसभा के पूर्व विधायक बृहस्पत सिंह ने कहा यह हादसा बांध प्रबंधक और प्रशासन के द्वारा देख रेख न करने के कारण हुआ है। अगर समय समय पर बांध का मरम्मत होता तो बांध नहीं टूटता और यह दुखद हादसा नहीं होता। उन्होंने कहा कि, बांध में करीब दो वर्ष से भी अधिक समय से सीपेज हो रहा था। अगर बांध को मरम्मत कर सीपेज बंद कर दिया जाता तो आज यह दुखद हादसा नहीं होता। प्रशासन और बांध प्रबंधक की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ है। जब से बांध बना था तब से लोगों को खेती करने में आसानी होता था। इससे वॉटरलेवल भी ऊपर हो गया था। नलकूप से आसानी से पानी निकल जाता था। रबी और खरीफ फसल की पैदावार भी अच्छे से हो रही थी। बांध से किसान खुशहाल जीवन जी रहे थे। पीड़ितों को मुआवजा और उन्हें फिर विस्थापित किया जाए।

बलरामपुर कलेक्टर राजेंद्र कटारा से दुर्घटना का कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि क्षेत्र में अत्यधिक बारिश हुई है, बांध के फूटने से बहाव के कारण घटना हुई है। हमारी पहली प्राथमिकता लापता को ढूंढना है। जांच के बाद ही घटना के कारणों का पता लगाया जा पाएगा।

एसपी वैभव बैंकर रामलाल ने संचार टुडे सीजीएमपी न्यूज के संवाददाता से बात करते हुए बताया कि अब तक चार शव बरामद किए गए हैं। तीन लोग अब भी लापता हैं जिनमें एक बच्चा शामिल हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ और पुलिस की संयुक्त की टीम लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही है। प्रभावित परिवारों को पंचायत भवन और राहत शिविर में सुरक्षित रखा गया है तथा उनकी सभी आवश्यक जरूरतें पूरी की जा रही हैं। प्रशासन की तरफ से उनको मुआवजा और अन्य राहत मिलना है वो उनको दिलाने की कोशिश की जा रही है।

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