

MP News: कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने वंदे मातरम् को लेकर उठे विवाद पर अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि वे इस गीत को गा नहीं पाएंगे, लेकिन इसका विरोध भी नहीं कर रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में वंदे मातरम् न गाने वालों की सूची पढ़ी थी, जिसमें मसूद का नाम भी शामिल था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मसूद ने कहा कि देश में कई गंभीर मुद्दे लंबित हैं जैसे इंडिगो की उड़ानें ठप हैं, यात्री परेशान हैं, किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है, नौजवान रोजगार को लेकर संघर्ष कर रहे हैं और ऐसे समय में संसद में एक गीत को केंद्र में रखकर बहस होना चिंता की बात है.
आरिफ मसूद ने दी सफाई
आरिफ मसूद ने कहा कि उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि वे वंदे मातरम् नहीं गा सकेंगे. मसूद के अनुसार, आजादी की लड़ाई में यह गीत उन नेताओं के मुंह पर नहीं था जो आज इस मुद्दे को लेकर शोर मचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वे लोग तिरंगा थामे गोलियां खा रहे थे और जो लोग आज सवाल उठा रहे हैं, उन्हें बोलने का अधिकार भी नहीं है. मसूद का कहना है कि वंदे मातरम् की भावना से उन्हें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन धार्मिक मान्यताओं का सम्मान भी उतना ही जरूरी है.
राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान गाने के लिए तुम्हारा मजहब मना कर रहा है – रामेश्वर शर्मा
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के वंदे मातरम् को दिए गए बयान पर भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि आरिफ मसूद जैसे लोगों को कान खोलकर सुन लेना चाहिए कि जब तुम्हारा मजहब वंदे मातरम् गाने के लिए मना करता है, तो वोट के खातिर चुनाव के समय तुम बिना नहाए मंदिर जाकर पूजा की थाली क्यों पकड़ लेते हो, लंबा त्रिपुंड क्यों लगवा लेते हो, तब तुम्हारा मजहब आड़े क्यों नहीं आता. तुम्हारे मजहब में मूर्ति पूजा करना मनाही है न, तो फिर वोट के खातिर चुनरी क्यों ओढ़ लेते हो? देवी जागरण में क्यों जाते हो? वोट के लिए मंदिरों में घुस रहे हो और राष्ट्रगीत गाने, राष्ट्रगान गाने, भारत माता की जय बोलने के लिए तुम्हारा मजहब मना कर रहा है? धन्य हो रे ऐसे मजहब के मानने वालों.
शर्मा ने आगे कहा कि अरे, तुम मजहब से ही बेईमानी करने वाले स्वार्थी लोग हो. इसी स्वार्थ के कारण ही हिंदुस्तान का विभाजन हुआ था. पहले जिन्ना का स्वार्थ आगे आया और देश का विभाजन हुआ, और आज तुम जैसे कांग्रेसी वंदे मातरम् के 150वें साल पर भी वंदे मातरम् गाने से मना कर रहे हो. इसका मतलब यह है कि ये लोग सुधर नहीं सकते, यह आज भी जिन्ना की मानसिकता लेकर चल रहे हैं. अब हिंदुस्तानियों को सोचना होगा कि जो तुम्हारा राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत न गाए, जो भारत माता की जय न बोल पाए, वह भारत माता के प्रति वफादार होगा या पाकिस्तान के टुकड़ों पर पलने वाला साबित होगा.
मसूद के बयान पर गरमाई सियासत
मसूद के इस बयान पर भाजपा ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि यह राष्ट्रवाद से दूरी का प्रयास है. भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने टिप्पणी की कि संविधान की शपथ लेकर विधायक बने व्यक्ति द्वारा वंदे मातरम् गाने से इनकार करना देश की आत्मा से दूरी बनाने जैसा है और जनता इसका जवाब देगी.
संसद में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर हो रही विशेष चर्चा
यह विवाद ऐसे समय में उठा है जब वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर संसद में विशेष चर्चा कराने का निर्णय लिया गया है. सरकार का कहना है कि राष्ट्रगीत के इतिहास, इसकी भूमिका और स्वतंत्रता संग्राम में इसके महत्व को समझाने के लिए यह चर्चा जरूरी है. जबकि विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को आगामी चुनावों के मद्देनज़र राजनीतिक रंग दे रही है और पुराने छंदों में बदलाव को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है.






















