नारायणपुर: नारायणपुर जिले के लेखक हुलेश्वर प्रसाद जोशी के नवीन दर्शन पर आधारित बहुप्रतीक्षित ग्रंथ “मानव अधिकार के अनछुए पहलू” (Untouched Aspects of Human Rights) का विमोचन आगामी 10 दिसंबर 2025 को किया जाएगा। विशेष बात यह है कि यह पुस्तक सभी पाठकों के लिए पूरी तरह मुफ्त उपलब्ध रहेगी। इच्छुक पाठक thebharat.co.in वेबसाइट पर जाकर इसे ऑनलाइन पढ़ सकेंगे, डाउनलोड कर सकेंगे और जरूरत पड़ने पर प्रिंट भी कर पाएंगे।

ग्रंथ की उपयोगिता को देखते हुए इसे मुद्रित रूप में बिक्री की अनुमति भी दी गई है, बशर्ते मुद्रक मूल सामग्री में किसी प्रकार का बदलाव न करें। यह पुस्तक मानव अधिकारों के वैश्विक और भारतीय ढांचे को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत मानी जा रही है। इसमें विश्व समाज द्वारा मानव अधिकारों को सुदृढ़ करने के लिए बनाई गई अंतरराष्ट्रीय कानून, संधियाँ, घोषणाएँ इसके साथ ही भारत का संविधान, नवीन आपराधिक कानून और पुराने–नए आपराधिक कानूनों की तुलनात्मक सारणी भी शामिल हैयह जोशी की दूसरी कृति है। इससे पहले उनका काव्य संग्रह “लिख दूँ क्या?”1 जनवरी 2024 को thebharat.co.in पर ऑनलाइन प्रकाशित हुआ था।

क्या है ‘नवीन दर्शन’?

लेखक के अनुसार “मानव अधिकार केवल अधिकारों की घोषणाएँ नहीं, बल्कि हिंसा, अपराध, नक्सलवाद और आतंकवाद पर नियंत्रण के लिए बनाए गए समस्त आपराधिक कानून भी आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए मानव अधिकार ही हैं।”

ग्रंथ का उद्देश्य

“मानव अधिकार के अनछुए पहलू” मूलतः मानवाधिकार और संवैधानिक अधिकारों का एक समग्र संकलन है। इसका उद्देश्य पाठकों में मानव अधिकारों की सही समझ, सम्मान और समाज में शांति, सौहार्द एवं न्याय स्थापित करने की भावना का विकास करना है।

लेखक का कहना है कि कई लोग मानव अधिकारों की व्यापक उपयोगिता समझे बिना इसे गलत ठहराते हैं, जबकि स्वच्छ हवा, पानी, भोजन, चिकित्सा, शिक्षा और आवास जैसे बुनियादी अधिकारों के बिना जीवन की कल्पना तक नहीं की जा सकती। इसलिए मानव अधिकारों को लेकर सही समझ विकसित करना उनकी प्राथमिक चिंता है।

डिजिटल युग के नए मानव अधिकार

ग्रंथ में यह भी रेखांकित किया गया है कि डिजिटल दुनिया में गोपनीयता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और ऑनलाइन उत्पीड़न जैसे मुद्दे आधुनिक मानव अधिकार संघर्ष का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं।साथ ही दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदायों को होने वाले भेदभाव, उत्पीड़न और असमानता को रोकना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी बताया गया है।

जोशी ने पुस्तक में जनसंख्या के अनुपात में सामाजिक प्रतिनिधित्व के अधिकार की आवश्यकता तथा सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और बाल अधिकारों सहित मानव अधिकारों के सभी आयामों को विस्तार से प्रस्तुत किया है।10 दिसंबर को होने वाला विमोचन मानव अधिकारों पर नए दृष्टिकोण को जन–जन तक पहुँचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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