

Vinod Kumar Shukla Passes Away : की खबर से हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। लंबे समय से बीमार चल रहे वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे रायपुर एम्स में भर्ती थे, जहां उन्होंने सोमवार शाम 4:58 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन को छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे देश के साहित्यिक क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा कि ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य में अपने अमूल्य योगदान के लिए सदैव स्मरणीय रहेंगे। उन्होंने शोकाकुल परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना भी व्यक्त की।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी Vinod Kumar Shukla Passes Away पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि ‘नौकर की कमीज’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ जैसी कृतियों के जरिए साधारण जीवन को गरिमा देने वाले विनोद कुमार शुक्ल छत्तीसगढ़ के गौरव थे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने भी इसे देशभर के साहित्य प्रेमियों के लिए बड़ी क्षति बताया।
विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में हुआ था। उन्होंने जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की और बाद में कृषि-विस्तार प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। कविता, कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में उनका योगदान अद्वितीय रहा। ‘नौकर की कमीज’, ‘कभी के बाद अभी’ और ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’ जैसी रचनाएं आज भी पाठकों को गहराई से प्रभावित करती हैं।






















