

Health News: सर्दियों का मौसम शुरू होते ही बहती नाक की समस्या आम हो जाती है। ठंडी और सूखी हवा नाक की झिल्ली को प्रभावित करती है, जिससे शरीर अतिरिक्त बलगम बनाता है और नाक बहने लगती है। इससे न सिर्फ सांस लेने में परेशानी होती है, बल्कि दिनचर्या भी प्रभावित होती है। ठंड के मौसम में वायरस और एलर्जी भी इस समस्या को बढ़ा देते हैं।
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने सर्दियों में बहती नाक से राहत के लिए आयुर्वेद के सरल और प्राकृतिक उपाय अपनाने की सलाह दी है। आयुर्वेद के अनुसार यह समस्या मुख्य रूप से वात दोष के असंतुलन के कारण होती है। ठंडी हवा के सीधे संपर्क से नाक की अंदरूनी परत सूख जाती है, जिससे जलन और अधिक म्यूकस बनने लगता है। लंबे समय तक समस्या रहने पर साइनस और सांस संबंधी दिक्कतें भी हो सकती हैं।
आयुष मंत्रालय के मुताबिक प्रतिमर्श नस्य बहती नाक के लिए एक प्रभावी उपाय है। इसमें सुबह और शाम नाक के दोनों छिद्रों में तिल का तेल, नारियल तेल या शुद्ध घी की एक-एक बूंद डालने की सलाह दी गई है। इससे नाक की झिल्ली नम रहती है, बलगम का निर्माण कम होता है और सांस लेने में राहत मिलती है। यह उपाय सिरदर्द और साइनस की समस्या में भी लाभकारी बताया गया है।
इसके अलावा भाप लेना भी कारगर उपाय है। गर्म पानी में अजवाइन, तुलसी की पत्तियां या लौंग डालकर भाप लेने से नाक खुलती है और कफ बाहर निकलने में मदद मिलती है। हल्दी वाला दूध, अदरक-काली मिर्च से बना काढ़ा, तुलसी और शहद का सेवन तथा गर्म पानी पीना भी जुकाम और बहती नाक में राहत देता है।
आयुष मंत्रालय का कहना है कि ये आयुर्वेदिक उपाय न केवल लक्षणों से राहत देते हैं, बल्कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करते हैं। हालांकि, यदि समस्या लंबे समय तक बनी रहे या गंभीर हो, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है।






















