गोविंद गिलहरे पदोन्नति घोटाला एक बार फिर चर्चा में है। कृषि विभाग में हुई इस अनियमित पदोन्नति ने सरकार को सख्त कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया है। भूपेश बघेल शासनकाल में एक स्टेनो को नियम विरुद्ध तरीके से सहायक संचालक कृषि (लेखा/स्था.) के पद पर पदोन्नत किया गया था। अब कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने इस नियुक्ति को निरस्त करते हुए पूरा मामला फिर से जांच के दायरे में ला दिया है।

शिकायत मिलने के बाद मंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। यही कारण है कि विभाग ने नवा रायपुर से जारी आदेश में गोविंद गिलहरे की पदोन्नति को तुरंत अमान्य घोषित कर दिया। इसके साथ ही तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है, जिसे 15 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी होगी।

जांच समिति में उप सचिव सूर्यकिरण अग्रवाल को अध्यक्ष बनाया गया है। उनके साथ विकास साहू और अनुराधा नायक सदस्य के रूप में शामिल हैं। यह टीम इस बात की जांच करेगी कि कैसे गोविंद गिलहरे, जो शीघ्रलेखक वर्ग-1 (स्टेनो) के पद पर थे, अचानक नियमों को दरकिनार कर उच्च अधिकारी बनाए गए।

RTI से मिले दस्तावेजों ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। जानकारी के अनुसार, न केवल भर्ती प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं हुईं, बल्कि कूट रचित फाइलें बनाकर नियम बदले गए और पदोन्नति चयन समिति की प्रक्रिया को भी प्रभावित किया गया। आरोप है कि तत्कालीन CGPSC चेयरमैन टामन सोनवानी के प्रभाव में यह पूरा खेल किया गया।

कृषि मंत्री ने माना कि यह एक गंभीर मामला है और चाहें तो इसमें CBI जांच भी हो सकती है। गोविंद गिलहरे पदोन्नति घोटाला अब पूरे कृषि विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट से स्थिति और स्पष्ट होगी।

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