

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आज गुरुवार को Tex-RAMPS (Textiles Focused Research, Assessment, Monitoring, Planning and Start-up) योजना को मंजूरी दे दी। यह एक बड़ी पहल है जिसका उद्देश्य भारत के टेक्सटाइल सेक्टर में शोध, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को मजबूत बनाना है। यह योजना 2025-26 से 2030-31 की अवधि के लिए लागू होगी और इसकी कुल लागत 305 करोड़ रुपये है। इसे केन्द्रीय क्षेत्र योजना (Central Sector Scheme) के रूप में लागू किया जाएगा और पूरा खर्च टेक्सटाइल मंत्रालय वहन करेगा।
योजना को नई वित्त आयोग के साथ जोड़ा गया है ताकि भविष्य में टेक्सटाइल और परिधान (apparel) सेक्टर को अधिक मजबूत, आधुनिक और विश्व-प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। यह योजना खास तौर पर शोध की कमी, कमजोर डेटा सिस्टम और नवाचार समर्थन जैसे पुराने अंतराल को दूर करने के लिए डिजाइन की गई है। घोषणा करते हुए टेक्सटाइल मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि Tex-RAMPS योजना शोध, डेटा और नवाचार को एक साथ लाकर भारत को स्थिरता, तकनीक और प्रतिस्पर्धा के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व दिलाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि इससे सेक्टर की रिसर्च क्षमता और डेटा स्ट्रक्चर मजबूत होंगे और उच्च मूल्य वाले नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
योजना में स्मार्ट टेक्सटाइल, स्थिरता, प्रक्रिया दक्षता (process efficiency) और उभरती तकनीकों पर उन्नत शोध को शामिल किया गया है। इसके साथ ही रोजगार आकलन, सप्लाई चेन मैपिंग और India-Size Project जैसे मजबूत डेटा सिस्टम विकसित करने पर भी जोर दिया गया है, ताकि नीतियां बेहतर डेटा आधारित हो सकें। इस योजना का एक बड़ा घटक Integrated Textiles Statistical System (ITSS) है, जो एक रियल-टाइम एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म होगा। इसका उद्देश्य सेक्टर की बेहतर मॉनिटरिंग और रणनीतिक निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाना है। इसके अलावा राज्यों की क्षमता बढ़ाने, ट्रेनिंग वर्कशॉप आयोजित करने और विभिन्न सेक्टोरल इवेंट्स के माध्यम से टेक्सटाइल ज्ञान तंत्र को मजबूत करने पर भी ध्यान दिया जाएगा।
Tex-RAMPS योजना उद्यमिता को भी बढ़ावा देगी। इसके तहत इनक्यूबेटर, हैकाथॉन, और उद्योग-शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा, ताकि उच्च मूल्य वाले टेक्सटाइल स्टार्ट-अप्स विकसित हो सकें। मंत्रालय के मुताबिक यह योजना भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाएगी, शोध एवं नवाचार को मजबूत करेगी, डेटा-आधारित नीतिगत निर्णय लेने में सुधार लाएगी और रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी। साथ ही यह राज्यों, उद्योग, शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी एजेंसियों के बीच सहयोग को और गहरा करेगी।-





















