बारबाडोस में 68वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारत लोकतंत्र और समानता का एक जीवंत उदाहरण है। उन्होंने अपने वक्तव्य में जोर दिया कि लोकतंत्र भारत की आत्मा है, समानता इसका संकल्प और न्याय इसकी पहचान है। बिरला ने सम्मेलन में “राष्ट्रमंडल – एक वैश्विक साझेदार” विषय पर प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत संसदीय संस्थाओं को मजबूत करने, समावेशी विकास को बढ़ावा देने और न्याय पर आधारित सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है।

इस अवसर पर, बिरला ने राष्ट्रमंडल संसद के अधिकारियों को 7 से 9 जनवरी, 2026 तक नई दिल्ली में आयोजित होने वाले अगले सम्मेलन (CSPOC) में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने बारबाडोस में अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रमंडल सिर्फ देशों का समूह नहीं, बल्कि साझा मूल्यों, लोकतंत्र और संवाद में विश्वास से एकजुट परिवार है।

बिरला ने वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, महामारी, खाद्य असुरक्षा और असमानता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि इनके समाधान के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने भारत की वैश्विक भूमिका का उदाहरण देते हुए बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने 150 से अधिक देशों को दवाइयाँ और टीके उपलब्ध कराए।

इसके अलावा, बिरला ने भारत के विकास, सौर ऊर्जा पहल और आपदा रोधी अवसंरचना जैसी पहलों के माध्यम से पृथ्वी के प्रति वैश्विक ज़िम्मेदारी पर भी जोर दिया। उन्होंने भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में प्रस्तुत किया।

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