बिलासपुर। गंगरेल बांध में मछलियों और पक्षियों के संरक्षण को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य शासन के मत्स्य विभाग ने कोर्ट को बताया कि अब तक 779 में से 679 केज हटाए जा चुके हैं, और केवल 100 केज हटाना बाकी है। इस मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद होगी।

धमतरी की वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसायटी ने यह याचिका दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि गंगरेल जलाशय में बिना वैध अनुमति के पिंजरों के जरिए बड़े पैमाने पर मछलियों का शिकार हो रहा है, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि शासन ने छह माह पहले अवैध गतिविधि रोकने का आश्वासन दिया था, लेकिन ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

विभाग का पक्ष

सुनवाई के दौरान मत्स्य विभाग ने शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया कि अधिकांश लाभार्थियों ने जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन देकर पिंजरों को अन्यत्र स्थानांतरित करने की सहमति दी थी। फरवरी 2025 में जिला प्रशासन ने जल प्रबंधन संभाग को पत्र लिखकर उपयुक्त स्थान चिन्हित करने का आग्रह किया था, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट स्थान नहीं मिला।

फुटाहामुड़ा क्षेत्र, जो एक आर्द्रभूमि है, वहां कुल 774 पिंजरे लगाए गए थे। इनमें से ज्यादातर किसानों ने इन्हें स्थानांतरित करने पर सहमति जताई है। विभाग ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि शेष 100 केज भी जल्द ही हटा दिए जाएंगे।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने विभाग की कार्यवाही पर संज्ञान लेते हुए अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है। गंगरेल बांध अवैध मछली शिकार पर यह कार्रवाई पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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