रायपुर। राजधानी रायपुर के राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र से एक बार फिर पुलिस और सट्टा कारोबारियों के बीच मिलीभगत का बड़ा मामला सामने आया है। कुछ दिनों पहले ऑनलाइन सट्टा रैकेट का खुलासा करते हुए पुलिस ने छापामार कार्रवाई में 11 मोबाइल, 3 लैपटॉप और एक लग्जरी थार गाड़ी जब्त की थी। साथ ही रायगढ़ निवासी मुकेश महापत्र, प्रमोद विश्वास, घनश्याम मलाकार और पुरानी बस्ती निवासी सत्यजीत चंद्राकर उर्फ सत्या को गिरफ्तार किया गया था।

गिरफ्तार आरोपियों के पास से गजानंद और रेड्डी अन्ना एप के जरिए चल रहे ऑनलाइन सट्टे के पुख्ता सबूत मिले थे। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपियों ने दावा किया था कि उनका नेटवर्क खाड़ी देशों तक फैला हुआ है। पुलिस ने मोबाइल, लैपटॉप, UPI/वॉलेट डिटेल्स और करोड़ों के ट्रांजैक्शन डेटा भी जब्त किए थे।

लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब पुलिस पर ही गंभीर आरोप लगने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि थाने के अधिकारियों ने आरोपियों से “सेटिंग” कर उन्हें छोड़ दिया और मोबाइल से ट्रांजैक्शन का महत्वपूर्ण डेटा मिटा दिया। इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि सचमुच पुलिस-आरोपी गठजोड़ हुआ है, तो यह न केवल अपराधियों को संरक्षण देना है बल्कि जनता के साथ भी धोखा है।

राजधानी रायपुर में ऑनलाइन सट्टा कारोबार कोई नया नहीं है, लेकिन जिस तरह पुलिस पर मिलीभगत के आरोप सामने आए हैं, उसने पूरे तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि शासन-प्रशासन इस मामले पर क्या कदम उठाता है या फिर यह भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

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