भाद्रपद महीने की शुरुआत में कजरी तीज मनाई जाती है। भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के इस पर्व में कुंवारी कन्याएं और महिलाएं व्रत रखती हैं। वैसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं कजरी तीज का व्रत रखती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। साथ ही वैवाहिक जीवन में सुख, शांति, संतान के लिए कजरी तीज व्रत रखा जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं, कजरी तीज व्रत कब रखा जाएगा और इसका क्या महत्व है।

कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
कजरी तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। 11 अगस्त को तृतीया तिथि सुबह 10.34 बजे लगेगी और 12 अगस्त को सुबह 8.41 बजे इसका समापन होगा। उदया तिथि होने की वजह से 12 अगस्त को कजरी तीज का व्रत रखा जाएगा। खास बात यह है कि इस दिन मंगलवार की चतुर्थी तिथि होने से अंगारकी चतुर्थी और बगुला चतुर्थी का भी संयोग बन रहा है। ऐसे में इस दिन एक साथ दो-दो व्रत का संयोग बन रहा है, जो सुहाग और संतान दोनों के लिए लाभदायक होगा।

कजरी तीज का महत्व
कजरी तीज का व्रत महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती से अपने सुखी और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। कजरी तीज को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तप किया था। इसके साथ ही कजरी तीज का व्रत भी रखा था। ऐसे में महिलाएं पति की सलामती के लिए यह व्रत रखती हैं। वे सोलह शृंगार करते हुए पति के लिए यह व्रत रखती हैं।

कठिन होता है कजरी तीज व्रत
वहीं कई जगहों पर कुंवारी कन्याएं भी मनचाहे वर के लिए यह व्रत रखती हैं। कजरी तीज का व्रत थोड़ा कठिन होता है। क्योंकि महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं। इसमें शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और भगवान शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।

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