बीजापुर: पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या और गंगालूर-मितलूर सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार के मामले में पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया है। पीडब्ल्यूडी विभाग के दो सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंताओं सहित कुल पांच अधिकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक पत्रकार की हत्या के बाद सड़क निर्माण में गड़बड़ी की जांच शुरू हुई थी, जिसमें विभागीय अफसरों की भूमिका उजागर हुई।अब जब जांच आगे बढ़ी, तो उस सड़क घोटाले में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है।

बीजापुर के गंगालूर थाना क्षेत्र में बनी नेलसनार -कोड़ोली -मिरतुर-गंगालूर सड़क की लागत 73 करोड़ रुपये थी, जिसे साल 2010 में मंजूरी मिली थी। लेकिन निर्माण कार्य में भारी भ्रष्टाचार और गुणवत्ता में भारी कमी को लेकर पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने रिपोर्टिंग की थी।1 जनवरी 2025 की रात से मुकेश चंद्राकर लापता हो गए थे। बाद में उनका शव ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के बाड़े में बने सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया। हत्या की गुत्थी सुलझाते हुए पुलिस ने ठेकेदार सुरेश चंद्राकर, उसके भाई रितेश और दिनेश चंद्राकर के साथ सुपरवाइज़र महेंद्र रामटेके को गिरफ्तार किया था।मामले में एसआईटी जांच चल रही थी और इसी दौरान पुलिस को सड़क निर्माण में गड़बड़ी के ठोस सबूत मिले। जिसके बाद अब विभागीय जिम्मेदारों पर शिकंजा कसा गया है।

पुलिस ने आज रिटायर्ड कार्यपालन अभियंता डी.आर. साहू, वी.के. चौहान, तत्कालीन ईई एच.एन. पात्र, एसडीओ प्रमोद सिंह कंवर और उप अभियंता संतोष दास को गिरफ्तार किया है।वहीं, कुछ अधिकारी पहले से अग्रिम जमानत पर हैं जिनमें तत्कालीन ईई बी.एल. ध्रुव, एसडीओ आर.के. सिन्हा और उप अभियंता जी.एस. कोडोपी शामिल हैं। बीजापुर एसपी जितेंद्र कुमार यादव ने गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा है कि अभी और लोगों की संलिप्तता की जांच की जा रही है।

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