
अम्बिकेश गुप्ता
कुसमी। बलरामपुर जिला के हिंडालको इंडस्ट्रीज लिमिटेड खान प्रभाग सामरी के अधीनस्थ आदित्य चिकित्सालय में सरकारी दवा वितरण के मामलें पर कई तरह के सवाल उत्पन्न हो रहें थे. सरकारी दवा मेडिकल कैम्प के लिए हिंडालको द्वारा लाया जाना बताया गया था. इस पर कैम्प लगाए जाने वाले ग्राम पंचायत सुरबेना के चंदाडाढ़ी से जमीनी हकीकत का पड़ताल किया गया. तो वहाँ के सरपंच, उपसरपंच, पंच सहित ग्रामीणों ने मेडिकल कैम लगाया जाना सही बताया हैं।
क्या था मामला..
उल्लेखनीय हैं की बीते दिनों शुक्रवार 30 मई को मामला सामने आया था की एक मरीज अपने ईलाज के लिए आदित्य चिकित्सालय पहुच कर बकायदा पर्चा बनवाया जिसके बाद वहाँ पदस्थ हिंडालको के डॉ ने पर्चे में दवाई लिखा। पर्चा में डॉ द्वारा लिखी गई दवा आदित्य चिकित्सालय में उपलब्ध रहने पर पहुचे मरीज को राहत देने के उद्देश्य से मेडिकल कैम्प में वितरण किए जाने वाली सरकारी दवा दी गई. मरीज ने सरकारी दवा देख तुरंत आपत्ति जताई। और इसकी जानकारी तहसीलदार सामरी शशिकांत दुबे तक पहुंची तो वें तत्काल आदित्य चिकित्सालय पहुंचकर परिस्थितियों को देख कर उक्त मामलें पर कार्यवाही शुरू कर दिया हैं। साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुसमी से डाक्टरो की टीम ने सरकारी दवाईयों का मिलान कर सरकारी दवाईयों की जप्ती कार्रवाई करते हुवे जाँच शुरू कर दिया।
स्वास्थ्य विभाग व हिंडालको का ब्यान..
वहीं सभी वर्गों में विचार उत्पन्न होने लगा की आखिर सरकारी दवा यहां आया कैसे ? जिस पर बलरामपुर जिला चिकित्सा अधिकारी बसंत सिंह के अनुसार विजय मिश्रा सीएसआर प्रमुख खान, प्रभाग सामरी के द्वारा पत्र के माध्यम से स्वास्थ्य कैंप लगाने हेतु दवाईयों की मांग पर सामाजिक हित एवं आने वाले मौसमी बिमारियों के रोकथाम का ख्याल करते हुवे दवा प्रदाय किया जाना बताया गया था।
साथ ही हिंडालको के सीएसआर प्रमुख खान प्रभाग सामरी विजय मिश्रा ने बताया था की स्वस्थ शिविर ग्राम पंचायत सुरबेना के चंदाडाढी गांव में प्रत्येक मंगलवार को मौसमी बीमारियों के नियंत्रण एवं ग्रामीण के उपचार के लिए किया जा रहा है। वितरण किए जाने वाली शेष दवाओं को कंपनी के अस्पताल के स्टोर रुम में रखा जाना बताया गया था. यह भी बताया गया था की संबंधित बीमारी के मरीज के आने पर चिकित्सक के द्वारा जो दवा प्रदान करने के लिए आदेशित किया गया. वह दवा अस्पताल में उपलब्ध नहीं थी. उसके सेम कांबिनेशन की दवा शासन से प्राप्त दवाओं में उपलब्ध थी जिसे मरीज के त्वरित स्वस्थ लाभ के लिए दिया गया।
यह आरोप निकला निराधार..
उक्त मामले में हिंडालको व स्वास्थ्य विभाग के ब्यान जारी होने बाद आरोप सामने आया की हिंडालको ने किसी प्रकार का मेडिकल कैम्प नहीं लगाया तथा उक्त आरोप की कई डिजिटल चैनल व न्यूज़ पोर्टलों में मामला प्रकाशित किया गया की हिंडालको कम्पनी के द्वारा किसी प्रकार का मेडिकल कैम्प ग्राम पंचायत सुरबेना में नहीं लगाया गया। यहां तक की ग्राम की महिला सरपंच से ग्राम सुरबेना में मेडिकल कैम्प लगाये जाने का सवाल कर वीडियों ग्राफ़ी के जरिए गुमराह पूर्वक रिकार्डेड़ कैमरे में व्यान दर्ज कर अफवाहों को फैलाया गया. जबकी महिला सरपंच ने स्वम ग्राम सुरबेना के चंदाडाढी में बीते दो – तीन मंगलवार से मेडिकल कैम्प लगाया जाना स्वीकार किया हैं। यदि ग्राम पंचायत सुरबेना के सहायक ग्राम चंदाडाढी में मेडिकल कैम्प के बारे में पूछा जाता तो जवाब यहीं आता की हां चंदाडाढी में मेडिकल कैम्प लगाया गया हैं।
जमीनी हकीकत पर पड़ताल..
इस ओर जब ग्राम पंचायत सुरबेना के ग्राम चंदाडाढ़ी से जमीनी हकीकत जानने पड़ताल किया गया तो सुरबेना पंचायत की महिला सरपंच सुगंती देवी, उपसरपंच जगदीश नगेसिया, पूर्व उपसरपंच रामचंद्र नगेसिया सहित कई पंचो व ग्रामीणों ने एक राय होकर बताया की हिंडालको के द्वारा बीते 3 मंगलवार से ग्राम पंचायत सुरबेना के सहायक ग्राम चंदाडाढी में मेडिकल कैम्प लगाया जा रहा हैं. जिस कैम्प में अपनी – अपनी स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं को लेकर गांव के अधिकांश वर्ग जा चुके हैं. मेडिकल कैम्प लगाए जाने की जानकरी गांव के हर वर्गों को धीरे-धीरे मिल रही हैं. और सभी मेडिकल कैम्प का लाभ उठा रहें हैं. हिंडालको द्वारा इस ग्राम में निवासरथ साढ़े ग्यारह सौ ग्रामीणो की सुविधाओं का ख्याल रखते हुवे मेडिकल कैम्प लगाने के पूर्व एक सभा में उक्त जानकारी साझा किया था. तथा इस गांव में जब तक हिंडालको कम्पनी क्लिनिक या स्वास्थ्य केंद्र नहीं खोलेगी तब तक यहां मेडिकल कैम्प लगाकर ईलाज की सुविधा यहां के ग्रामीणों को दिलाई जाने की जानकारी हिंडालको द्वारा दिया जा कर हर मंगलवार को मेडिकल कैम्प लगाया जा रहा हैं। जिसकी शुरुआत ग्राम पंचायत सुरबेना के कुल 15 वार्डों में स्कुलपारा चंदाडाढ़ी से की गई हैं।