
नई दिल्ली: देश में हर साल 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। बात 1826 की है। देश में ब्रितानी हुकूमत थी। तब देश में अंग्रेजी, फारसी, उर्दू एवं बांग्ला भाषा में अखबार छपते थे। इसी साल तत्कालीन राजधानी कलकत्ता (अब कोलकाता) में कानपुर के रहने वाले वकील पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 28 मई को अंग्रेजों की नाक के नीचे हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास की ‘उदन्त मार्तण्ड’ के रूप में आधारशिला रखी।
उदन्त मार्तण्ड अखबार की नींव पर खड़े हैं हिन्दी पत्रकारिता के बड़े भवन
इसी पर आज हिन्दी पत्रकारिता के भव्य भवन खड़े हैं। साप्ताहिक ‘उदन्त मार्तण्ड’ ने अंग्रेजों की नाक में इस कदर खुजली कर दी की कि उसका प्रकाशन डेढ़ वर्ष से अधिक न हो सका। ‘उदन्त मार्तण्ड’ के प्रथम प्रकाशन तिथि की स्मृति में ही हिन्दी पत्रकारिता दिवस मनाकार पंडित जुगल किशोर शुक्ल के योगदान को याद किया जाता है।
इस समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियां प्रकाशित हुई थीं
प्रकाशक एवं संपादक शुक्ल के हर मंगलवार को छपने वाले ‘उदन्त मार्तण्ड’ में हिन्दी भाषा के बृज और अवधी भाषा का मिश्रण होता था। ‘उदन्त मार्तण्ड’ के वितरण में अंग्रेजों के डाक शुल्क में छूट न दिए जाने के कारण इसका 79वां और आखिरी अंक दिसंबर 1827 में प्रकाशित हुआ। इस समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियां प्रकाशित हुई थीं।
वैसे अंग्रेज जेम्स ऑगस्टस हिकी को भारतीय पत्रकारिता का जनक माना जाता है। उन्होंने 1780 में कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर के साथ मिलकर भारत का पहला अखबार बंगाल गजट शुरू किया था। यह पत्र केवल दो वर्ष तक ही चला। 1782 में ब्रिटिश राज की मुखर आलोचना के कारण इसे जब्त कर लिया गया।