ग्वालियर (Gwalior): मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में रहने वाले 81 वर्षीय रामसेवक गुप्ता को आखिरकार 12 साल बाद न्याय मिल गया। साल 2013 में ट्रेन की देरी के चलते अहमदाबाद की ट्रेन छूटने पर उन्होंने रेलवे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। अब कोर्ट ने रेलवे को गलती मानते हुए हर्जाना देने का आदेश दिया है।

क्या है मामला?
साल 2013 में रामसेवक गुप्ता अपने बेटे के साथ शताब्दी एक्सप्रेस से आगरा जा रहे थे। वहां से उन्हें अहमदाबाद फोर्ट एक्सप्रेस पकड़नी थी, लेकिन शताब्दी एक्सप्रेस 2 घंटे 30 मिनट लेट हो गई, जिससे उनकी अहमदाबाद की ट्रेन छूट गई।

उन्होंने तुरंत आगरा स्टेशन प्रबंधक को लिखित शिकायत दी और टिकट का पैसा लौटाने या दूसरी ट्रेन से व्यवस्था करने की मांग की। हालांकि, स्टेशन प्रबंधक ने यह कहकर इनकार कर दिया कि यह ई-टिकट है, इसलिए रिफंड संभव नहीं है।

RTI से खुला सच
जब रेलवे ने कोर्ट में दावा किया कि ट्रेन के SLR कोच में आग लगने से देरी हुई, तो बुजुर्ग ने RTI दाखिल की। जांच में पता चला कि आग शताब्दी नहीं बल्कि राजधानी एक्सप्रेस में लगी थी। इसके बावजूद उपभोक्ता फोरम ने पहले उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

बाद में उन्होंने मामला राज्य उपभोक्ता आयोग में उठाया, जहां से उन्हें आखिरकार न्याय मिला। रेलवे ने कोर्ट में अपनी गलती स्वीकार करते हुए केस वापस ले लिया। आयोग ने रेलवे को 15 हजार रुपये हर्जाने के रूप में देने का आदेश दिया, वहीं राष्ट्रीय आयोग ने सुनवाई में गैरहाजिरी पर 10 हजार रुपये अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया।

12 साल की इस लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, ग्वालियर के इस बुजुर्ग की दृढ़ता ने साबित किया कि न्याय में देर जरूर हो सकती है, लेकिन होता जरूर है।

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