अम्बिकापुर: कलेक्टर विलास भोसकर के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज जिला मुख्यालय में पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों हेतु आपातकालीन चिकित्सा सेवा एवं सड़क सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं एवं अन्य आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्राथमिक उपचार और जीवनरक्षक तकनीकों की जानकारी प्रदान करना था।

कार्यक्रम में सीएमएचओ डॉ. पी.एस. मार्को, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  अमोलक सिंह ढिल्लो, सिविल सर्जन डॉ. जे.के. रेलवानी, डीपीएम डॉ. पुष्पेन्द्र राम, प्रशिक्षक डॉ. श्रीकांत सिंह चौहान,  नीतू केसरी,  प्रशांत कश्यप, यातायात विभाग, 112 और 108 वाहन सेवा के अधिकारी-कर्मचारी तथा जिले के सभी विकासखंडों से आए पुलिस दल उपस्थित रहे।

आपात चिकित्सा सेवा की जानकारी से बच सकती हैं अनमोल जानें

कार्यशाला को संबोधित करते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  अमोलक सिंह ढिल्लो ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं और अन्य आपातकालीन स्थितियों में त्वरित चिकित्सकीय सहायता न मिलने के कारण कई बार लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। ऐसे में पुलिस विभाग का प्रशिक्षण और जागरूकता बेहद जरूरी है ताकि हादसों के समय सही प्राथमिक उपचार देकर लोगों की जान बचाई जा सके। उन्होंने नागरिकों से यातायात नियमों का पालन करने, हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग करने, नशे में वाहन न चलाने तथा सड़क सुरक्षा अभियान में भाग लेने की अपील की।

सड़क सुरक्षा में प्राथमिक उपचार का महत्व

सिविल सर्जन डॉ. जे.के. रेलवानी ने कहा कि आज सड़क और परिवहन हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन चुका है। परिवहन व्यवस्था ने जहां दूरी घटाई है, वहीं जीवन के जोखिम को भी बढ़ा दिया है। हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाते हैं। हमारा प्रयास है कि इस तरह के प्रशिक्षणों से पुलिस और अन्य विभागों के लोग सड़क सुरक्षा और आपातकालीन स्थितियों में जीवनरक्षक उपायों को अपनाएं और दूसरों को भी जागरूक करें।

CPR तकनीक पर विस्तार से प्रशिक्षण

प्रशिक्षक डॉ. श्रीकांत सिंह चौहान ने सड़क दुर्घटना, शर्पदंश, बिजली गिरना जैसी घटनाओं में आपातकालीन प्राथमिक उपचार और CPR (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) तकनीक की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हृदय गति रुकने, डूबने, बिजली का झटका लगने या सांस रुकने की स्थिति में CPR देने से जीवन बचाया जा सकता है। उन्होंने CPR के मुख्य चरण Circulation (छाती पर दबाव देना), Airway (वायुमार्ग खोलना) और Breathing (कृत्रिम सांस देना) की विस्तार से जानकारी दी और इसका व्यावहारिक प्रदर्शन भी किया।

मानसिक स्वास्थ्य और सड़क सुरक्षा का गहरा संबंध

मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ  नीतू केसरी ने कहा कि वाहन चलाते समय मानसिक स्थिरता और इमोशनल इंटेलिजेंस जरूरी है। नशे, गुस्से या तनाव की स्थिति में वाहन चलाना दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बनता है। उन्होंने कहा कि योग, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग जैसी तकनीकें मानसिक संतुलन बनाए रखने में मददगार हैं। कार्यशाला के अंत में अधिकारियों ने आमजन को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करने और प्रशिक्षण में प्राप्त जानकारी का अधिकतम उपयोग करने का आह्वान किया।

Leave a reply

Please enter your name here
Please enter your comment!