रायपुर: टमाटर की ग्राफ्टिंग, पौधों की पैदावार बढ़ाने और जड़ प्रणाली से जुड़ी बीमारियों और विकारों के खतरे को कम करने का एक अच्छा तरीका है। इससे पौधों की मजबूती बढ़ती है, पैदावार अधिक होती है और जड़ों के ऊपरी हिस्से के गलने की समस्या भी खत्म हो जाती है । बलौदाबाज़ार-भाटापारा ज़िले में ग्राफ्टेड तकनीक से सब्ज़ियों की खेती के बेहतरीन परिणाम देखने को मिल रहे हैं । ज़िले के भाटापारा ब्लॉक के कृषक  युवराज साहू पिता श्री रामनारायण साहू ने ग्राफ्टेड टमाटर की खेती करके एक सीजन में करीब 3 लाख रूपए प्रति एकड़ की शुद्ध लाभ प्राप्त किया है।

कम पानी एवं मजदूरी लागत भी कम

युवराज साहू ने बताया पहले वो परंपरागत तरीके से टमाटर की खेती करते थे, तब पौधों के सूखने की समस्या और रोग की समस्या आती थी, जिसके कारण काफ़ी नुकसान भी होता था। उद्यानिकी विभाग द्वारा किसानों को नयी तकनीक से जोड़ने और सब्जी उत्पादन बढ़ाने की दिशा में यह प्रदर्शन सफल साबित हो रहा है। ग्राफ्टेड टमाटर में बीमारी का प्रकोप सामान्य खेती की तुलना में कम देखा गया है। साथ-साथ इसमें तीनों सीजन में उत्पादन प्राप्त होता है। कम पानी एवं मजदूरी लागत भी कम आती है। पौधे मजबूत होने से उत्पादन में सुधार हुआ है, जिससे किसानों को आर्थिक रूप से लाभ मिल रहा है।

टमाटर की खेती साल में 2 से 3 बार उत्पादन प्राप्त होता है

किसान ने बताया कि ग्राफ्टेड विधि से उपज होनी वाली इस टमाटर की खेती साल में 2 से 3 बार किया जा सकता हैं। वहीं सामान्य टमाटर की तरह की ये भी टमाटर होता हैं, इसका इस्तेमाल सब्जियों में अधिक होता हैं। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अन्तर्गत किसानों को उद्यानिकी विभाग द्वारा  प्रति प्रदर्शन राशि रू. 30000 का अनुदान दिया जा रहा है। विभाग द्वारा जिले के 188 कृषकों का चयन कर उन्हें इस योजना का लाभ दिया जा रहा है।

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