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नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के करीब नौ लाख कर्मचारी गुरुवार से दो दिन की हड़ताल पर जा रहे हैं, जिससे बैंकिंग सेवाएं प्रभावित होने की आशंका है। यूनियन के नेताओं ने कहा कि इस हड़ताल का आह्वान सरकार द्वारा दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के प्रयास के खिलाफ किया गया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित ज्यादातर बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि हड़ताल की वजह से चेक भुनाने और फंड ट्रांसफर जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
मुख्य श्रम आयुक्त से बैंकरों की बातचीत रही विफल
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी) के महासचिव सौम्य दत्ता ने कहा कि बुधवार को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष सुलह-सफाई बैठक विफल रही और यूनियनों ने हड़ताल पर जाने के फैसले को कायम रखा है। सरकार ने बजट 2021-22 में इस साल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव किया था। दो दिन की हड़ताल (16 और 17 दिसंबर) का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक्स यूनियन (यूएफबीयू) ने किया है, जो बैंकिंग क्षेत्र में नौ यूनियनों की एक छत्र संस्था है।
सरकार ने हमारी बात नहीं मानी
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने कहा कि बुधवार को दिल्ली में हुई सुलह बैठक में, जहां भारतीय बैंक संघ (आईबीए) और वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि भी मौजूद थे, यूनियनों ने दोहराया कि अगर केंद्र सरकार उन्हें आश्वासन देती है कि वे संसद में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 को पेश करने को टाल देंगे, तो वे हड़ताल टाल देंगे।
नहीं मिला कोई भी आश्वासन
उन्होंने कहा, सरकार ने हमें ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया और इसलिए दो दिन की हड़ताल की जा रही है। उन्होंने कहा, हड़ताल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की रक्षा और संरक्षण और बैंकों के निजीकरण का विरोध करने के लिए है। सरकार ने बजट 2020 में कहा था कि वह अपने दो बैंकों का निजीकरण करेगी।
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